शपथ के दौरान “जय फिलिस्तीन” का नारा लगाकर फंसे सांसद ओवैसी, सदस्यता ख़त्म करने राष्ट्रपति के पास पहुंची शिकायत, ये कहता है भारत का संविधान

जैन ने कहा - मैंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास दायर याचिका दायर कर अनुरोध किया है कि आर्टिकल 102 के तहत ओवैसी को डिस क्वालीफाई किया जाए उनकी सदस्यता समाप्त की जाये और आर्टिकल 103 के तहत निर्वाचन आयोग को ये मामला भेजा जाये उनकी रिपोर्ट मंगाई जाये

Asaduddin Owaisi

Asaduddin Owaisi News : हैदराबाद से 18वीं लोकसभा के लिए चुनकर आये सांसद और AIMIM ( ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद मुसलमीन) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी मुश्किल में फंस गए हैं, संसद में भारत के सांसद के रूप में शपथ लेते समय “जय फिलिस्तीन” का नारा लगाने को लेकर उनकी राष्ट्रपति से शिकायत की गई है और भारत के संविधान में आर्टिकल 102 के तहत ओवैसी की सदस्यता समाप्त करने का अनुरोध किया गया है।

वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि ओवैसी ने जय फिलिस्तीन का नारा लगाया ये साबित करता है कि वे कहीं ना कहीं विदेशी शक्तियों से मिले हुए हैं और उस राज्य के प्रति उनका झुकाव है, जैन ने कहा कि भारतीय संविधान का आर्टिकल 102 कहता है कि ऐसा व्यक्ति योग्य माना जायेगा ये बहुत गंभीर मामला है, पूरे देश को झकझोर दिया है कि भारत का एक सांसद विदेशी राज्य से झुकाव रखता है इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

जैन ने कहा – मैंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास दायर याचिका दायर कर अनुरोध किया है कि आर्टिकल 102 के तहत ओवैसी को डिस क्वालीफाई किया जाए उनकी सदस्यता समाप्त की जाये और आर्टिकल 103 के तहत निर्वाचन आयोग को ये मामला भेजा जाये उनकी रिपोर्ट मंगाई जाये, उन्होंने कहा कि मैं स्वयं निर्वाचन आयोग में भी शिकायत करूँगा।

ये सब कहा था ओवैसी ने शपथ के दौरान 

आपको बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ने कल 25 जून को 18वीं लोकसभा के सदस्य के तौर पर शपथ ली थी, ओवैसी ने बिस्मिल्लाह ..से शुरुआत करते हुए उर्दू में शपथ ली, शपथ के बाद उन्होंने जय हिन्द नहीं बोला लेकिन जय भीम, जम मीम, जय तेलंगाना और जय फिलिस्तीन का नारा लगाया, भाजपा ने इसपर ऐतराज जताया और इस नारे को सांसद की कार्यवाही से अलग करने का अनुरोध किया।

मीडिया के सवाल करने पर पूछ लिया था – बताएं मैंने संविधान के किस आर्टिकल का उल्लंधन किया   

शपथ लेने के बाद जब ओवैसी बाहर आये और मीडिया ने जब ओवैसी से जय फिलिस्तीन बोलने पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि मैंने कुछ गलत नहीं कहा, उल्टा वे मीडिया से ही सवाल करने लगे कि मैंने भारत के संविधान के किस आर्टिकल का उल्लंघन क्या कोई बताये?बहरहाल अब भारत के संविधान के आर्टिकल 102 के तहत ओवैसी की सदस्यता संकट में आ गई है, देखना होगा राष्ट्रपति इसपर क्या फैसला लेती हैं।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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