Mysterious Bijli Mahadev Temple : बिजली महादेव मंदिर प्राकृतिक सुंदरता के साथ एक पहाड़ी शिखर पर स्थित है। इस मंदिर में बिजली का गिरना एक अद्भुत दर्शन है जो हर 12 साल में होता है। इस घटना के बाद शिवलिंग टूट जाता है और पुजारी द्वारा उसे मक्खन से जोड़ा जाता है, जिससे वह पुराने स्वरूप में लौट आता है। यह आध्यात्मिक अनुभव मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण होता है और वे इसे दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
भारत के प्राचीनतम मंदिरों में से एक
बिजली महादेव मंदिर का स्थान काशवरी गांव में होने के साथ-साथ काफी ऊँचाईयों में स्थित है। इसके प्राचीनता और अद्भुत वैशिष्ट्य के कारण यह मंदिर भारत के प्राचीनतम मंदिरों में से एक मानी जाती है। शिवलिंग के टुकड़े हो जाने के बावजूद जब पुजारी उन्हें मक्खन के साथ जोड़ते हैं तो वे पुनः पूर्व स्वरूप में आ जाते हैं। यह चमत्कारिक प्रक्रिया मंदिर के रहस्यमयता को और बढ़ा देती है। यह एक आध्यात्मिक और श्रद्धा भरी अनुभव हो सकता है जो मंदिर के आगंतुकों को प्रभावित करता है।
जानें इस मंदिर का रहस्य
यहां के रहस्यमय घटनाओं के पीछे पौराणिक कथाएं और मान्यताएं हैं जो शिव मंदिर की प्राचीनता और महत्व को दर्शाती हैं। प्राचीन कथाओं के अनुसार, दैत्य कुलांत ने इस स्थान को अपना निवास स्थान बनाया था और उसकी इच्छा इस स्थान को जल से डुबोने की थी। हालांकि, भगवान शिव ने उसे अपने त्रिशूल द्वारा मार डाला और इस प्रक्रिया के बाद उसका शरीर विशाल पर्वत के रूप में परिवर्तित हो गया। इस घटना के चलते इस स्थान का नाम “कुल्लू” पड़ा। लोक मान्यता के अनुसार, हर 12 साल में भगवान इंद्र इस मंदिर में बिजली गिराते हैं जो शिव के आदेश के अनुसार होता है।