Odisha Train Accident: CBI जांच पर उठे सवाल, जयराम रमेश बोले ये केवल “हेडलाइन मैनेजमेंट”

Atul Saxena
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Odisha Train Accident: ओडिशा ट्रेन हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है, मरने वालों का सरकारी आंकड़ा भले ही 275 हो लेकिन अभी भी बहुत से लोग लापता हैं जिनके परिजन उन्हें खोज रहे हैं, अभी या नहीं कहा जा सकता कि वे जीवित भी हैं कि नहीं।  उधर केंद्र सरकार इस दुर्घटना को लेकर बहुत संजीदा है, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव दुर्घटना के कुछ देर बाद ही घटनास्थल पर पहुँच गए और भी वहीँ हैं, उनकी मौजूदगी में रेलवे ट्रेक को साफ़ कर ट्रेन ट्रैफिक शुरू हो गया हैं। उधर सरकार ने साजिश की आशंका के बीच CBI जांच कराने की घोषणा कर दी है जिसके बाद विपक्ष इसपर सवाल उठा रहा है।

ओडिशा के बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने और उसकी चपेट में दो और ट्रेनों के दुर्घटनाग्रस्त होने में कई कारण सामने आ रहे हैं। रेलवे सुरक्षा आयुक्त जांच कर रहे हैं, विभागीय अधिकारियों ने भी तकनीकी पहलुओं को देखा तो इसमें साजिश की आशंका दिखाई दे रही है जिसने सभी के कान खड़े कर दिए हैं।

सवाल कोरोमंडल एक्सप्रेस को दिए हरे सिग्नल की वजह से उठ रहे हैं, क्योंकि गाड़ी को गलत ट्रेक के लिए ग्रीन सिग्नल मिला, और मात्र तीन सेकण्ड में कोरोमंडल एक्सप्रेस उस लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई और फिर हाहाकार मच गया, रेलवे बोर्ड के मुताबिक उनके हाई क्वालिटी तकनीकी उपकरण कोरोमंडल एक्सप्रेस को सही सिग्नल देने का डेटा दिखा रहे हैं लेकिन ट्रेन दूसरी लाइन पर कैसे गई ये समझ से दूर है इसलिए किसी साजिश की आशंका के चलते सरकार ने दुर्घटना की CBI जांच के आदेश दे दिए हैं।

दुर्घटना को लेकर केंद्र सरकार और रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव पर हमलावर कांग्रेस ने सीबीआई जांच की घोषणा पर भी सवाल उठाये हैं। कांग्रेस महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा है, उन्होंने लिखा – रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने अभी बालासोर ट्रेन दुर्घटना पर अपनी रिपोर्ट भी नहीं दी है, उससे पहले ही CBI जांच की घोषणा कर दी गई। यह कुछ और नहीं बल्कि हेडलाइन मैनेजमेंट है, क्योंकि सरकार डेडलाइन पूरा करने में पूरी तरह से विफल है। जयराम रमेश ने कानपुर ट्रेन हादसे का उदाहरण भी अपने ट्वीट में दिया है और लिखा है – अब इस क्रोनोलॉजी को याद कीजिए ।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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