‘वन नेशन वन इलेक्शन’ (One Nation One Election) को लेकर गुरुवार को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक अयोाजित की गई जिसमें समिति के सभी सदस्यों ने भाग लिया और अपना अपना पक्ष रखा। इस विषय को लेकर बैठक में हर पहलू पर चर्चा की गई। बैठक के बाद JPC के अध्यक्ष पी.पी. चौधरी का बड़ा बयान सामने आया है।
उन्होंने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन पर भारतीय विधि आयोग के चेयरमैन के साथ तीन घंटे की बैठक हुई। सभी सदस्यों ने अपने विचार रखे। सभी बातों पर ध्यान दिया जाएगा और फिर समिति अपनी सिफारिश देगी। आगे उन्होंने कहा कि ये मुद्दा बहुत जरूरी है और देश के हित में है। इससे कई दिक्कतें खत्म हो जाएंगी। हर चीज़ की बहुत अच्छे से जांच की जा रही है, और कमेटी सभी को अपने विचार रखने के लिए काफी समय दे रही है।
वन नेशन वन इलेक्शन पर बोले पूर्व राष्ट्रपति
इस बीच, भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का बयान भी सामने आया। उन्होंने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन पर उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी थी। जिसके आधार पर सरकार ने दो विधेयक तैयार किए जिन्हें 2024 में लोकसभा में पेश किए। अभी ये दोनों विधेयक इस समय जेपीसी के पास हैं, जहां इनकी जांच हो रही है।
उन्होंने कहा कि अगर यह विधेयक देश में लागू होता है तो यह भारत के विकास के लिए गेम-चेंजर साबित होगी। अभी देश में हर साल 4-5 राज्यों में चुनाव होते हैं और हमारी पूरी प्रशासनिक मशीनरी इसमें लग जाती है। चुनाव प्रक्रिया में सबसे बड़ा नुकसान हमारे शिक्षा तंत्र को होता है। सबसे ज्यादा चुनावी कर्मचारी शिक्षक होते हैं।
क्या है वन नेशन वन इलेक्शन?
एक राष्ट्र एक चुनाव का अर्थ है लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और अंततः पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनाव एक साथ कराना। 1951 से 1967 तक भारत में ऐसा ही होता आता था लेकिन 1960 के दशक के अंत में कुछ राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के समय से पहले भंग होने से यह चक्र बाधित हो गया। तभी से लेकर अब तक भारत में लोकसभा और विधानसभा एवं निकाय पंचायत चुनाव का पूरा सिस्टम की बदल गया।
भारतीय विधि आयोग (170वीं रिपोर्ट) ने कार्यकुशलता में सुधार के लिए इस प्रणाली पर पुनर्विचार करने की सिफारिश की है। अगर इसे लागू किया जाता है तो यह अवधारणा सुनिश्चित करेगी कि चुनाव हर पाँच साल में एक बार ही होंगे और केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर एक साथ चुनाव होंगे।





