नहीं रहे पद्मश्री अर्थशास्त्री डॉ. बिबेक देबरॉय, 69 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा, पुराणों का अंग्रेजी में अनुवाद कर अलग पहचान बनाई

दिग्गज अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डॉ. बिबेक देबरॉय ने 69 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी दुख व्यक्त किया। डॉ. बिबेक देबरॉय ने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली।

Rishabh Namdev
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नहीं रहे पद्मश्री अर्थशास्त्री डॉ. बिबेक देबरॉय, 69 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा, पुराणों का अंग्रेजी में अनुवाद कर अलग पहचान बनाई

शुक्रवार 1 नवंबर को अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डॉ. बिबेक देबरॉय का निधन हो गया। उन्होंने 69 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। डॉ. बिबेक देबरॉय ने सभी पुराणों का अंग्रेजी में अनुवाद किया है, जिसके चलते उन्होंने अपनी एक अलग छवि बनाई। उनके निधन की खबर सुनकर हर तरफ दुख की लहर फेल गई। जानकारी के मुताबिक दिल्ली के एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली।

जानकारी के मुताबिक डॉ. बिबेक देबरॉय आंतों से जुड़ी बीमारी (इंटेस्टाइन इन्फेक्शन) से जूझ रहे थे। शुक्रवार सुबह सात बजे उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। बता दें कि डॉ. बिबेक देबरॉय को पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा बिबेक देबरॉय नीति आयोग के सदस्य भी रह चुके हैं।

सभी पुराणों का अंग्रेजी में आसान अनुवाद किया

दरअसल डॉ. बिबेक देबरॉय ने नई पीढ़ी के लिए सभी पुराणों का अंग्रेजी में आसान अनुवाद किया। जिसके चलते उन्होंने विश्व में भी ख्याति पाई। डॉ. देबरॉय के निजी जीवन की बात करें तो उनकी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता के नरेन्द्रपुर में रामकृष्ण मिशन स्कूल में हुई। वहीं इसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज को चुना, इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से भी शिक्षा प्राप्त की।

प्रधानमंत्री मोदी ने जताया दुख:

वहीं उनके निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने दुख व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा – ‘डॉ. बिबेक देबरॉय एक प्रखर विद्वान व्यक्ति थे। देबरॉय अर्थशास्त्र, इतिहास, संस्कृति, राजनीति, अध्यात्म और अन्य विविध क्षेत्रों में पारंगत थे। उन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी। उन्हें सार्वजनिक नीति में अपने योगदान के अलावा उन्हें हमारे प्राचीन ग्रंथों पर काम करने और उन्हें युवाओं के लिए सुलभ बनाने में भी आनंद आता था।’


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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