चेन्नई।
तमिलनाडु विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और अन्नाद्रमुक (AIADMK) नेता पीएच पांडियन का शनिवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वह 74 वर्ष के थे। पीएच पांडियन ने आज सुबह 8:30 बजे तमिलनाडु के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली।
पेशे से वकील पांडियन 1985-1989 तक तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष रहे। उस समय एमजी रामचंद्रन राज्य के मुख्यमंत्री थे। पीएच पांडियन जयललिता के बेहद करीबी सहयोगी माने जाते थे। एमजी रामचंद्रन मुख्यमंत्री के निधन के बाद उन्होंने अध्यक्ष के रूप 1989 तक कार्य किया।
1972 में AIADMK में शामिल होने वाले पीएच पांडियन ने 1985 से 1987 तक तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष के रूप कार्य किया। एमजी रामचंद्रन की मौत के बाद एआईएडीएमके का विभाजन हो गया तो पांडियन एमजी रामचंद्रन की पत्नी की साइड चले गए। लेकिन बाद में उन्होंने जयललिता के साथ पैचअप कर लिया।
वह 1999 में तिरूनेलवेली सीट से सांसद निर्वाचित हुए।जब उनके खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए थे तब वह वह 1996 और 1999 के बीच पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के कानूनी सलाहकार बन गए। चार बार विधायक रहे पांडियन को तिरुनेलवेली निर्वाचन क्षेत्र से 1999 में संसद सदस्य चुना गया।वह 1977, 1980 और 1984 में अपने पैतृक चेरान्मादेवी विधानसभा सीट से विधायक चुने गए।
सुर्खियां में आया था नाम जब
पांडियन 1987 में तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने विधायिका की अवमानना के मामले में तमिल पत्रिका आनंदा विकटन के मालिक एस. बालासुब्रह्मण्यम को जेल भेजने के मामले में कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष के पास ‘बहुत शक्ति’ होती है। पत्रिका में एक विवादित कार्टून प्रकाशित हुआ था।