डीपफेक वीडियोज को पीएम मोदी ने बताया संकट, कहा- इसकी पहचान के लिए जानकारी मुहैया कराने के किए जाने चाहिए प्रयास

Shashank Baranwal
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PM Modi

PM Modi Deepfake Videos: आर्टीफीशिएल इंटेलिजेंस (एआई) का चलन विश्व में तेजी से बढ़ रहा है। इसके सकारात्मक प्रभाव के साथ नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल रहे हैं। एआई के जरिए डीपफेक वीडियोज की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। वहीं डीपफेक के मामले में पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गहरी चिंता जाहिर की है। पीएम मोदी ने दिल्ली बीजेपी कार्यालय में दिवाली मिलन कार्यक्रम में पत्रकारों को संबोधित करते हुए डीपफेक के लिए एआई के दुरूपयोग की बात को लेकर मीडिया और लोगों को सतर्क रहने को कहा है। डीपफेक वीडियोज को एक बड़ा संकट बताया है। उन्होंने कहा है कि इसकी पहचान और सत्यापन के लिए उचित संसाधन नहीं हैं। इसकी पहचान कराने के लिए जानकारी मुहैया कराने का प्रयास किया जाना चाहियो।

समाज में बड़ी अशांति पैदा कर सकती है डीपफेक

डीपफेक की समस्या को लेकर पीएम मोदी ने कहा है कि डीपफेक समाज में बड़ी अशांति को पैदा कर सकती है। उन्होंने इस मामले को लेकर कहा है कि एआई के जरिए बनाई गई फोटो या वीडियोज में एक स्पष्ट डिस्क्लेमर होना चाहिए। जिसमें यह लिखा होना चाहिए कि यह डीपफेक के माध्यम से बनाई गई है।

भारतीय प्रणाली के लिए खतरा है डीपफेक

पीएम मोदी ने डीपफेक को भारतीय प्रणाली के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है। उन्होंने कहा है कि डीपफेक समाज में अराजकता पैदा कर सकता है। वहीं उन्होंने मीडिया और लोगों से कहा है कि डीपफेक से सतर्क रहने की जरूरत है। डीपफेक मामले को लेकर उन्होंने कहा कि मैंने अपना एक वीडियो देखा है। जिसमें मैं गरबा कर रहे हैं। जो कि वास्तविक लग रहा है। हालांकि मैंने बचपन से ही गरबा नहीं खेला है।


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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