Potato Prices: देश में आलू की कीमतों में अचानक उछाल आया है, जिससे आमजन की रसोई का बजट प्रभावित हो रहा है। दरअसल आलू की कीमतों में इस अप्रत्याशित वृद्धि ने आम नागरिकों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। आमतौर पर, हर साल के अंत में आलू की कीमतें बढ़ जाती हैं, लेकिन इस बार उत्पादन में कमी के चलते इसका असर पहले ही दिखने लगा है।
सरकारी कदम और आयात की तैयारी
दरअसल आलू की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने सक्रिय कदम उठाने का निर्णय लिया है। इसके तहत, भूटान और अन्य देशों से आलू का आयात शुरू किया जा सकता है। यह कदम सरकार की ओर से आम लोगों को राहत देने के प्रयास का हिस्सा है, ताकि कीमतों को काबू में रखा जा सके और खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सके।
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में कम उत्पादन के कारण आलू की कीमतें ऊंची बनी रह सकती हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए, सरकार ने भूटान से आलू आयात की मंजूरी देने पर विचार किया है। इसके अलावा, अन्य देशों से भी आलू का आयात करने की संभावना पर चर्चा चल रही है।
पहले से दी गई मंजूरी
दरअसल पिछले साल, सरकार ने भूटान से आलू आयात की मंजूरी दी थी, जो जून 2024 तक वैध थी। इस मंजूरी के तहत, व्यापारी बिना लाइसेंस के भूटान से आलू खरीद सकते थे। अब, सरकार छोटे-छोटे मात्रा में आलू आयात की अनुमति दे सकती है ताकि आपूर्ति को बढ़ाया जा सके और कीमतों को स्थिर किया जा सके।
उत्पादन में कमी
वहीं भारत, आलू के उत्पादन में दुनिया में दूसरे स्थान पर है, चीन के बाद। पिछले वर्ष 60.14 मिलियन टन आलू का उत्पादन हुआ था, लेकिन इस साल उत्पादन घटकर 58.99 मिलियन टन रहने का अनुमान है। इस कमी का मुख्य कारण खराब मौसम और फसल की खराब स्थिति है।
महंगाई का असर:
यह जानकारी दी जा रही है कि खराब मौसम के कारण पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख आलू उत्पादक राज्यों में फसल प्रभावित हुई है। इसके परिणामस्वरूप आलू की कीमतों में तेज वृद्धि देखी जा रही है। प्याज, टमाटर और आलू की महंगाई मिलकर 48.4 प्रतिशत तक पहुंच गई है। अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो अक्टूबर से आलू की उपलब्धता में और कमी आ सकती है। सामान्यतः नवंबर-दिसंबर के महीनों में आलू की कमी देखी जाती है, लेकिन इस बार यह प्रभाव पहले ही स्पष्ट हो रहा है।