नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। देश के हर राज्य में केंद्र सरकार (central government) द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों (Agricultural bills) को लेकर किसानों का प्रदर्शन (farmers protest) जारी है। देश का किसान इस बिल का विरोध कर रह है। किसानों द्वारा किए जा रहे बिल का विरोध में विपक्ष (opposition party) भी इनका पूरा समर्थन कर रही है। किसान बिल के विरोध में किए जा रहे हंगामे के बावजूद आज देश के राष्ट्रीयपति राम नाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने सांसद द्वारा पारित कृषि विधेयको को मंजूरी दे रही है। राष्ट्रीयपति (president of India) के मंजूरी के बाद अब तीनों विधयक कानून बन गए हैं। इन कानूनों में किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) एक्ट 2020 (Agricultural Produce Trade and Commerce Bill) और कृषि सेवा अधिनियम 2020 (Agricultural Services Act 2020) शामिल किए गए हैं।
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक (Agricultural Produce Trade and Commerce Bill) में अन्नदाताओं को उनकी उपज देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति या संस्था को बेचने की इजाजत दी गई है, जिसके चलते एक देश, एक बाजार की अवधारणा लागू की जाएगी। किसान अपना अनाज देश के किसी भी व्यापारिक प्लेटफॉर्म या अपने खेत में बेच सकेंगे। वहीं किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक (The Farmers (Endowment and Security) Agreement and the Agricultural Services Bill) में बोआई से पहले किसान को अपनी फसल को तय किए गए मानकों (fixed standard) और तय कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने का सुविधा दी गई है। इस विध्येंक में किसान का रिस्क कम करने की बात कही जा रही है।
बता दें कि जब इस बिल को राज्यसभा (Rajyasabha) में पारित करने के लिए सबके समक्ष रखा गया था तो इस बिल के विरोध में विपक्ष ने काफी हंगामा किया था। अपने विरोध में विपक्षी दलों के सांसदों ने हंगामा करते हुए खूब शोरगुल और हल्ला किया था, साथ ही धक्कामुक्की करते हुए माइक तोड़ दिए थे और रूल बुक के पन्ने भी फाड़कर फेंक दिए थे। विपक्ष द्वारा किए गए इस हंगामें के मद्देनजर 8 सदस्यों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की गई थी। साथ ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से विपक्ष ने इन विधेयकों पर साइन नहीं करने और लौटाने का अग्रह भी किया था। इस बीच इस बिल के विरोध के चलते शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए का हाथ छोड़ दिया है।