चेन्नई, डेस्क रिपोर्ट | तमिलनाडु के कोयंबटूर में स्कूली बच्चों के नशीली दवाओं के शिकार होने की खबर सामने आ रही है। दरअसल, यहां गांजा तस्कर अपने गलत मंसूबे में कामयाब होते नजर आ रहे हैं। इसके लिए वो स्कूल में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं, जिस पर काबू करने के लिए जिला पुलिस ने “गांजा मुक्त गांव” अभियान चलाई है, जिसके तहत मामले की तह तक जाकर कार्रवाई की जाएगी और बच्चों को नशीली दवाओं के शिकार होने से बचाया जाएगा। जिसे लेकर जिला प्रशासन और पुलिस ने तैयारियां शुरू कर दी है। बता दें कि इस नई पहल के तहत पुलिस ने पंचायत स्तर की निगरानी समितियां तैयार की हैं जो कि युवा पीढ़ी को नशे के खतरे से रोकने में मदद करेगा।
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तमिलनाडु दक्षिण क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक आर सुधाकर ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि, हर ग्राम पंचायत में एक पुलिस अधिकारी को नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा। इसके अलावा एक निगरानी समिति भी गठित की जाएगी। इस निगरानी समिति में ग्राम पंचायत अध्यक्ष, स्थानीय स्कूल प्रधानाध्यापक, वार्ड सदस्य और नोडल अधिकारी सदस्य शामिल होंगे।
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वहीं, एक सामाजिक कार्यकर्ता गंगाधरन ने कहा कि, यह पुलिस की एक अच्छी पहल है, लेकिन मेरा सुझाव है कि स्थानीय स्तर के सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को भी समिति में शामिल किया जाए ताकि जमीनी स्तर पर इसपर काम किया जा सके।”
बता दें कि गांजा और नशीली दवाओं का तस्करों का एक बहुत बड़ा नेटवर्क बना हुआ है जो स्कूली बच्चों को दवाओं की आपूर्ति कर रहा है। जिसे लेकर पुलिस ने बीते शनिवार से अपनी गतिविधियां शुरू कर दी हैं। साथ ही उनपर अंकुश लगाने के लिए कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
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