EC Selection: नए नियम से EC का सिलेक्शन, जानें इसका विरोध क्यों कर रहा विपक्ष? क्या है इसका प्रोसेस

EC Selection: 21 दिसंबर 2023 को लोकसभा में नए कानून को मंजूरी मिलने के बाद, चुनाव आयोग की नियुक्ति अब राष्ट्रपति के एक सेलेक्शन कमेटी की सिफारिश पर होगी। कमेटी में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता, और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे। इसके साथ ही, एक सर्च कमेटी भी नामित की जाएगी, जिसकी अध्यक्षता अब कानून मंत्री करेंगे।

Rishabh Namdev
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EC Selection: चुनाव आयोग में अभी दो चुनाव आयुक्तों (ECs) के पद खाली हैं। दरअसल आपको बता दें की 8 मार्च की सुबह अचानक अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद अब लोकसभा चुनाव से पहले इन पदों को भरा जाना जरूरी है। वहीं इसी कड़ी में आज इन्हें भरे जाने को लेकर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले पैनल की आज बैठक आयोजित की जा रही है।

आपको बता दें की आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के अलावा दो चुनाव आयुक्त होते हैं। वहीं अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद अब 2 पद खाली हो गए है जिन्हे भरा जाना है। वहीं 21 दिसंबर 2023 को लोकसभा में पास हुए कानून के अनुसार इसके लिए चुनाव आयोग की नियुक्ति अब राष्ट्रपति के एक सेलेक्शन कमेटी की सिफारिश पर होगी।

प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) के नेतृत्व में चयन समिति दो नामों को अंतिम रूप देगी:

दरअसल जानकारी के मुताबिक कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की अध्यक्षता में इस सर्च कमेटी ने निर्वाचन आयोग में निर्वाचन आयुक्तों के खाली पदों को पूरा करने के लिए 5 उम्मीदवारों की एक सूची तैयार कर ली है। जानकारी दे दें की इसके लिए बुधवार शाम एक अहम बैठक आयोजित की गई थी। वहीं इसी कड़ी में आज प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) के नेतृत्व में चयन समिति दो नामों को अंतिम रूप देगी। दरअसल आपको बता दें नए कानून के हिसाब से सेलेक्शन कमेटी की सिफारिश के आधार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा ही निर्वाचन आयोग के दो सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। यानी ऐसा पहली बार होगा जब नए कानून के तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में चीफ जस्टिस आउट होंगे और, नये नियम से चुनाव आयुक्तों का चयन किया जाएगा।

दरअसल इस नई प्रक्रिया में चुनाव आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति की ओर से एक सेलेक्शन कमेटी की सिफारिश पर ही की जाएगी। कमेटी में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता, और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे। इसके साथ ही, एक सर्च कमेटी भी नामित की जाएगी, जिसकी अध्यक्षता अब कानून मंत्री करेंगे।

विपक्ष का सरकार पर प्रहार:

वहीं इसको लेकर विपक्ष द्वारा लगातार प्रहार किया गया है। दरअसल इस नए बिल को लेकर विपक्ष का कहना है कि ‘इस कानून से चुनाव आयोग अब सरकार की कठपुतली बन गया है। दरअसल इस कानून को विपक्ष संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बता रहा है। वहीं इसको लेकर विपक्षी दलों का भी यही कहना है कि नए बिल के प्रावधानों के अनुसार आयुक्तों की नियुक्ति में आखिरी फैसला सरकार का ही होगा। जिसके चलते सरकार अपनी पसंद का ही आयुक्त बनाएगी। यानी सरकार जो चाहे, वह फैसला करेगी।’


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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