नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। कर्नाटक कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ईपीएफ कंट्रीब्यूशन में अगर देरी होती है तो उसके नुकसान की भरपाई नियोक्ता कंपनी को करना होगा। ईपीएफओ के 6 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स को इसका सीधा असर पड़ेगा। ईपीएफ के दायरे में आने वाले लोग अपनी क्षतिपूर्ति के लिए अब क्लेम कर सकेंगे।
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सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने कहा कि EPF (कर्मचारी भविष्य निधि) एवं विविध प्रावधान अधिनियम कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। यदि किसी कंपनी में 20 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं तो यह उसकी जवाबदारी है की कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस कानून के अनुसार कंपनी या नियोक्ता की जिम्मेदारी बनती है कि वह भविष्य निधि (पीएफ) की कटौती करे अनिवार्य रूप से एवं कर्मचारी के खाते में जमा करवाए epf कार्यालय द्वारा।
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कर्नाटक हाईकोर्ट ने यह आदेश पहले दिया हुआ था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इसके लिए फिर से अर्जी दी गयी। बता दें कि इसके पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था कि यदि कम्पनी किसी कर्मचारी का ईपीएफ में अंशदान में देरी करती है तो इसकी क्षतिपूर्ति की जिम्मेदारी उस कंपनी की होगी। कानून 14B के अनुसार सजा का प्रावधान होगा।