नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। आम दिनों में हमारे घर में जो भी अटाला निकलता है या तो हम उसे फेंक देते हैं या फिर कबाड़ी को बेच देते हैं। लेकिन जौनपुर के रहने वाले एक टीचर ने इसी कबाड़ से कमाल कर दिखाया है। कबाड़ की मदद से टीचर ने एक रोबोट तैयार किया है जो बच्चों को पढ़ा रही है। इंटेलिजेंस सिस्टम से बनी इस रोबोट का नाम शालू है और ये अब तक कई अवार्ड भी जीत चुकी है। इतना ही नहीं इसका नाम इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर के दिनेश कुमार ने इस शालू रोबोट को तैयार किया है। दिनेश आईआईटी बॉम्बे के केंद्रीय विद्यालय में कंप्यूटर साइंस पढ़ाते हैं। उन्होंने इस रोबोट को घर पर पड़े कबाड़ और मार्केट में मिलने वाली कुछ छोटी-छोटी चीजों से तैयार किया है। इसे बनाने में उन्हें 3 साल मेहनत करनी पड़ी, रोबोट में एलुमिनियम, लकड़ी, गत्ता और प्लास्टिक का उपयोग किया गया है।
घर में पड़े कबाड़ से बना दी टीचर. नाम है #ShaluMadam ये रोबोट टीचर यूपी के स्कूल में पढ़ाती है. #RobotTeacher #UPSchool #IIT #Innovation pic.twitter.com/wBMmErzCyW
— Ratnapriya (@ratnapriya91) September 7, 2022
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इस रोबोट की खासियत यह है कि यह विदेशी भाषा जानने के साथ-साथ भारत की 9 भाषाओं का ज्ञान भी रखती है। इसके अलावा इसे कुल 38 भाषाएं आती हैं। शालू किसी आम इंसान की तरह जिस भाषा में सवाल पूछा जाए उसी में जवाब देती है। इंसानी चेहरा पहचानने के साथ इसे बातें भी याद रहती है। इसे मैथ्स, साइंस, जनरल नॉलेज, हिस्ट्री और ज्योग्राफी जैसे सवालों के जवाब भी पता है। मजाक करना, हंसना, गुस्सा और जलन की भावनाएं भी यह एक्सप्रेस कर सकती है।
नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर इस रोबोट को कई अवॉर्ड दिए जा चुके हैं। इसे प्रतिष्ठा वर्ड रिकॉर्ड कबाड़ से बनी हुई हुमनोइड रोबोट के लिए मिला है। इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इसे से ज्यादा भाषा में बात करने के लिए दिया गया है। इसके अलावा विज्ञान प्रसार मंत्रालय भारत सरकार द्वारा इसे प्रशस्ति पत्र भी दिया गया है। CSIR ने भी इस रोबोट की सराहना की है।