हम बाहर निकलते हैं तो हमें अक्सर बच्चे काम करते हुए दिखते हैं। अफसोस कि हम यही देखते हुए बड़े हुए हैं इसलिए हमारे लिए ये बहुत ही आम बात है। इतना ही नहीं लोग इसका औचित्य सिद्ध करने के लिए कह देते हैं कि देश में गरीबी के चलते इन बच्चों को मजदूरी करनी पड़ रही है। या फिर ये बच्चे अपना घर चलाने के लिए माता-पिता की सहायता कर रहे हैं। इतने ही स्पष्ट तौर पर हम ये नहीं कह पाते कि इन बच्चों की जगह स्कूल में है। शिक्षा इनका जन्म सिद्ध अधिकार है। आइए जानते हैं कि भारत में बाल मजदूरी के खिलाफ आवाज़ उठाना क्यों ज़रूरी है:
* भारत में 5-18 साल उम्र के करीब 33 मिलियन बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं।
* भारत में बाल मजदूरी करने वाले बच्चों में से 80% जनसंख्या ग्रामीण या पिछड़े हुए इलाकों से आती है।
* खेती, वानिकी और मछली पकड़ने के कार्यों में कम से कम देश के 62 प्रतिशत बच्चे काम करते हैं।
* देश का उत्तर प्रदेश राज्य बाल मजदूरी का सबसे बड़ा घर है। 2011 की जनगणना के हिसाब से 6 लाख से भी अधिक बच्चे यहां बाल मजदूरी कर रहे हैं।
* सरकार की right to education act के अंतर्गत 5-14 साल के बच्चों के लिए फ्री और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है। लेकिन असल में ये कागज पर ही रह गया है।
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* सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार निजी स्कूलों में 25% आरक्षण निम्न आर्थिक पृष्टभूमि से आने वाले बच्चों के लिए है। हालांकि ये सोचने वाली बात है कि क्या निम्न आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चे इस ‘privileged’ वातावरण में पढ़ने में सहज होंगे?
* हालांकि कानून के अनुसार 14 साल से कम उम्र वाले कोई भी बच्चा किसी प्रकार के काम में लिप्त नहीं होगा लेकिन इसी नियम में ये भी शामिल है कि यदि बच्चा अपने माता- पिता की मदद कर रहा है तो वो गैर कानूनी नहीं है। इसी की आड़ में धड़ल्ले से बाल मजदूरी चल रही है।
* बाल मजदूरी एक दंडनीय अपराध है लेकिन क्या आपको सच में लगत है कि इस पर कोई ध्यान भी देता है?
सरकार ने बाल मजदूरी के खिलाफ कई कानून बनाए हैं इसमें अनुच्छेद 21A के तहत 6 वर्ष से 14 वर्ष
तक कि आयु वाले सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है। अनुच्छेद45 के तहत 10 वर्ष की अवधि के भीतर सभी बालकों को 14 वर्ष की आयु पूरी करने तक निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है।
इसके अलावा कई चाइल्ड राइट्स ऐक्टिविस्ट जैसे कि मलाला यूसुफ़ज़ाई और कैलाश सत्यार्थी आदि ने भी बाल मजदूरी के खिलाफ प्रशंसनीय काम किया है। हमें भी अपने-अपने स्तर पर समाज से बाल मजदूरी खत्म करने के प्रयास करने चाहिए।