शिमला, डेस्क रिपोर्ट। झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना (old pension scheme) दोबारा लागू करने के बाद हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन की बहाली की मांग ने जोर पकड़ लिया है। आज एनपीएस संघ के कर्मचारियों (Himachal NPS Employees) ने शिमला राम मंदिर में पेंशन मनाेकामना यज्ञ किया और 13 को बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।इस दिन विधानसभा का घेराव किया जाएगा और इसमें करीब डेढ़ लाख कर्मचारियों के पहुंचने का लक्ष्य है।
न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी संघ ने आज जयराम ठाकुर सरकार को जगाने के लिए आज रविावर को शिमला के राम मंदिर में पेंशन मनोकामना यज्ञ किया और पेंशन प्राप्ति की मनोकामना की। इसी के साथ अब 13 अगस्त को राज्य विधानसभा का घेराव करने की तैयारी है। इसमें एक से डेढ़ लाख लोग जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाल होने के आसार बहुत कम नजर आ रहे हैं, क्योंकि हाल ही में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने डॉक्टर वाइएस परमार जयंती के मौके पर मानसून सत्र से ऐन पहले ऐसे संकेत दिए थे।उन्होंने कहा था कि पता नहीं कब लागू होगी या नहीं, ऐसे में संभावना है कि राज्य सरकार नई पेंशन में ही संशोधन करने का प्रस्ताव ला सकती है, बजाय पुरानी पेंशन बहाली के।
बता दे कि हाल ही में पुरानी पेंशन योजना की बहाली पर सीएम जयराम ठाकुर का भी बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि कर्मचारियों को अपनी मांगें रखने का पूरा अधिकार है, लेकिन सरकार सभी मांगें पूरी की जाए, यह मुमकिन नहीं। प्रदेश की परिस्थितियों के मद्देनजर कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली की मांग पूरी होगी या नहीं, यह कहना अभी मुश्किल है। कांग्रेस नेता इस मुद्दे पर जो हल्ला मचाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, वे शायद भूल रहे हैं कि 2003 में जब प्रदेश में नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू करने का एमओयू साइन हुआ था तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे।
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गौरतलब है कि 2002 तक देश व प्रदेश में सरकारी क्षेत्र में काम करने वाले हर एक कर्मचारी को पेंशन मिलती थी, लेकिन 2002 के बाद पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया, ऐसे में हिमाचल प्रदेश में फिर पुरानी पेंशन दोबारा लागू करने की मांग को लेकर विधानसभा के मानसून सत्र से पहले एनपीएस संघ के कर्मचारियों ने मोर्चा खोल रखा है।बताया जा रहा है कि अगर सरकार कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देती है तो दो हजार करोड़ खर्च करने होंगे। इस तरह से राज्य सरकार के 5,500 करोड़ बच जाएंगे।