महिला अफसरों के प्रमोशन पर ताजा अपडेट, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, मंगलवार को अगली सुनवाई

Pooja Khodani
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Army Women Officer Promotion:  भारतीय सेना की महिला अधिकारियों के प्रमोशन पर ताजा अपडेट सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भारतीय सेना महिला अधिकारियों के साथ उचित व्यवहार नहीं कर रही। सेना पहले अपना घर दुरुस्त करें और सेना, महिला अधिकारियों के साथ निष्पक्ष नहीं रही है, बताएं कि आप क्या करने जा रहे हैं। हम मंगलवार को इस मामले में अंतिम निर्णय सुनाएंगे।

दरअसल, शुक्रवार को भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को कर्नल रैंक में प्रमोशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिका में दावा किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी महिला अधिकारियों को 2021 में प्रमोशन नहीं दिया गया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने 34 महिला अधिकारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सेना अपना ‘‘घर ’’ दुरुस्त करें। सेना उन महिला अधिकारियों के लिए ‘‘निष्पक्ष’’ नहीं रही है, जिन्होंने 2020 में शीर्ष अदालत के निर्देश पर स्थायी कमीशन दिए जाने के बाद पदोन्नति में देरी का आरोप लगाया है।

पीठ ने सेना को आदेश दिया कि वह प्रोन्नति के लिए अक्तूबर में विचार किए गए पुरुष अधिकारियों के नामों की घोषणा तब तक न करें, जब तक कि महिला अधिकारियों के लिए चयन बोर्ड-3 की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती। पीठ ने केंद्र सरकार और सेना की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से पूछा कि अक्तूबर में प्रोन्नति के लिए महिला अफसरों के नामों पर विचार क्यों नहीं किया गया?

पुरुष अफसरों की पदोन्नति पर रोक

महिला अफसरों की ओर वरिष्ठ वकील वी मोहना ने कोर्ट को बताया कि महिला अफसरों को स्थायी कमीशन दिए जाने के आदेश के बाद से अब तक 1200 जूनियर पुरुष अफसरों को पदोन्नत किया जा चुका है। 22 नवंबर को पिछली सुनवाई के बाद से भी 9 पुरुष अफसरों को ऊंची रैंक दी जा चुकी है। उन्होंने मांग की SB3 की नियुक्तियों को 249 महिला अधिकारियों को पदोन्नत किए जाने तक रोक दिया जाना चाहिए क्योंकि SB3 अधिकारी हमसे जूनियर हैं। इधर, केंद्र व सैन्य बलों की ओर से पेश आर. बालासुब्रह्मणयम ने कोर्ट को बताया कि पिछली सुनवाई के बाद से किसी अधिकारी को प्रोन्नति नहीं दी गई है।

मंगलवार को अगली सुनवाई

एएसजी संजय जैन ने बताया कि जिन अधिकारियों को पदोन्नत किया जाना है उन्हें ब्रिगेडियर के पद पर पदोन्नत किया जाएगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने इन महिला अधिकारियों पर विचार क्यों नहीं किया? इन महिला अधिकारियों के साथ न्याय नहीं किया, हम अस्थायी आदेश पारित करेंगे। अक्टूबर में विचार किए गए पुरुष अधिकारियों को तब तक न रखें जब तक कि आप इन महिला अधिकारियों पर विचार न करें। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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