UCPMP 2024: केंद्र सरकार ने डॉक्टरों को मुफ्त में दी जाने वाली दवाओं कंपनियां के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। सरकार ने UCPMP गाइडलाइन जारी की है। केंद्र सरकार ने ये कदम फार्मा कंपनियों और डॉक्टर के बीच के गठजोड़ को रोकने के लिए ही उठाया है। अब कोई भी फार्मा कंपनी या उसका कोई एजेंट किसी भी डॉक्टर या उसके परिजनों को फ्री में दवा नहीं दे सकेगा। आइए जानते है क्या है फार्मा कोड?
क्या है फार्मा कोड?
फार्मा कोड का पूरा नाम Uniform Code for Pharmaceutical Marketing Practices है। ये कोड सरकार कीतरफ से जारी किया गया है। जिसके तहत फार्मा कंपनियां अब डॉक्टरों या उनके परिजनों को फ्री में दवा नहीं दे सकेंगी। बता दें कि अपने ब्रांड प्रमोशन के नाम पर ये फार्मा कंपनियां डॉक्टरों को फ्री में दवा देती थी। लेकिन अब गलत प्रैक्टिस के खिलाफ शिकायत करने के लिए हर फार्मा कंपनी को अपनी वेबसाइट पर इस कोड का पालन करना होगा। अब फार्मा कंपनियां डॉक्टरों मुफ्त के गिफ्ट्स नहीं दे सकती है। न ही ये विदेश में सेमिनार के नाम पर यात्राएं करवा सकती हैं।
फार्मा कंपनी खुद पर लगाए लगाम
सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन में कहा गया है फार्मा कंपनियों की एसोसिएशन को एक एथिक्स कमेटी बनानी होगी। इस कमेटी के हेड कंपनी के सीईओ होगें जिसमें कम से कम 3 से लेकर 5 सदस्यों का होना जरूरी हैं। फिर फार्मा कंपनी की एसोसिएशन अपनी वेबसाइट पर किसी भी तरह के शिकायत के लिए सही प्रोसीजर भी जारी करेगी। संगठन की वेबसाइट पर मौजूद शिकायत की प्रक्रिया और कोड सरकार की केमिकल और फर्टिलाइजर मिनिस्ट्री के डिपार्मेंट आफ फार्मा की वेबसाइट से लिंक होगा। इन सब के अलावा प्रत्येक कंपनी को उत्पाद का नाम, डॉक्टर का नाम, दिए गए सैंपल की मात्रा, मुफ्त नमूनों की आपूर्ति की तारीख जैसे डिटेल्स भी वेबसाइट पर देनी होगी।
फार्मा कंपनी के खिलाफ कर सकेंगे शिकायत
बता दें कि सरकार का डिपार्मेंट आफ फार्मास्यूटिकल ऐसी फार्मा कंपनी की शिकायत को सुनेगा जो फार्मा कंपनी किसी भी संगठन से जुड़ी हुई नहीं है। इसके लिए आपको फार्मा इंडस्ट्री एसोसिएशन के पास जाकर उस कंपनी के खिलाफ शिकायत करनी होगी। लेकिन शिकायत करने वालों को अपनी पहचान बताना जरूरी है। फार्मा कंपनी को किसी भी तरह के दिशा निर्देश या नियम कानून के उल्लंघन के 6 महीने के अंदर शिकायत करना जरूरी होगा। यहां पर शिकायत करने वाले को ₹1000 जमा करने होगें। फिर एथिक्स कमेटी इस पूरे मामले पर 90 दिन के अंदर अपना फैसला सुनाएगी। अगर फार्मा कंपनी के खिलाफ मामला साबित हो जाता है तो एथिक्स कमिटी उसे कंपनी के खिलाफ सीमित दायरे में कार्रवाई करने के लिए भी स्वतंत्र है।