शाहरुख़ खान ने लता दीदी की पार्थिव देह पर जो किया, क्या है उसका इस्लाम में मतलब ?

Atul Saxena
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मुंबई, डेस्क रिपोर्ट।  भारत रत्न, स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के अंतिम संस्कार के समय बॉलीवुड के कई दिग्गज भी दिखाई दिए, सभी ने नम आँखों से लता दीदी को विदाई दी। किंग खान शाहरुख़ खान (Shahrukh Khan) भी इस मौके पर मौजूद थे। उन्होंने लता दीदी (Lata Didi) को अंतिम विदाई दी, उनकी पार्थिव देह पर फूल चढ़ाये, उनके लिए दुआ पढ़ी लेकिन इसी दौरान उनके एक एक्शन का ऐसा रिएक्शन हुआ कि वो ट्रोल होने लगे। हालाँकि इस्लाम के जानकार शाहरुख़ के एक्शन को इस्लाम का ही एक पवित्र तरीका बता रहे हैं।

शिवाजी पार्क में रविवार शाम को हुए लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार में देश के राजनेताओं के अलावा हर क्षेत्र की हस्तियां मौजूद थी। मुंबई के सभी रास्ते लता दीदी को अंतिम विदाई देने के लिए मुड़ गए थे। निधन की सूचना के  बाद से बॉलीवुड भी गहरे सदमें में था। फिल्म से जुड़ा हर व्यक्ति मायूस और ग़मगीन था।

दिखाई दी गंगा-जमुनी तहजीब 

अन्य फ़िल्मी हस्तियों के साथ किंग खान शाहरुख़ खान भी लता दीदी के अंतिम दर्शन करने शिवाजी पार्क गए। यहाँ उनके साथ उनकी मैनेजर पूजा ददलानी भी थी। सफ़ेद कपड़े पहने शाहरुख़ खान  और उनकी मैनेजर जब एक साथ लता मंगेशकर को पुष्पांजलि अर्पित कर रहे थे तो वहां भारत की गौरवशाली गंगा-जमुनी तहजीब का मुजाहिरा हो रहा था।

शाहरुख़ ने दुआ के लिए हाथ उठाये तो मैनेजर ने हाथ जोड़े 

शाहरुख़ खान लता दीदी के लिए अल्लाह से दुआ मांगते हुए दोनों हाथ ऊपर उठाये खड़े थे तो उनकी मैनेजर पूजा ददलानी भगवान से हाथ जोड़कर लता दीदी के लिए प्रार्थना कर रही थी। इसी दौरान ऐसा कुछ हुआ कि कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने शाहरुख़ खान को ट्रोल करना शुरू कर दिया।

क्यों हो रहे शाहरुख़ खान ट्रोल 

दर असल हुआ यूँ कि मास्क पहने शाहरुख़ खान खान ने लता मंगेशकर की पार्थिव देह पर पुष्प अर्पित किये, उनके चरण स्पर्श किये, उनके लिए दुआ पढ़ी और और फिर मुंह से मास्क हटाकर उनकी पार्थिव देह पर फूंका। कुछ लोगों को शाहरुख़ खान का फूंकना, थूकना समझ आया और लोग बिना कुछ सोचे समझे शाहरुख़ खान को ट्रोल करने लगे।

ये कहता है इस्लाम 

हालाँकि इस्लाम के जानकर इसे इस्लाम में दुआ करने का एक पवित्र तरीका बताते हैं। जानकारों के मुताबिक कुरान की  आयतें और उसके शब्द मुक़द्दस (पवित्र) होते हैं कुरान की आयतों को पढ़ने के बाद उसे पढ़ने वाला दूसरे इंसान तक उसे पहुँचाने के लिए फूंकता है यानि आयतों में छिपी दुआओं को सुपुर्द करता है।

बहरहाल ये भारत है यहाँ “हिंदू मुस्लिम, सिख, ईसाई आपस में हैं भाई भाई” का अहसास बचपन से कराया जाता है। देश के हर कोने में हिंदुस्तान की गौरवशाली गंगा-जमुनी तहजीब देखने को मिलती है। ईद, क्रिसमस, दीवाली, गुरु पुरव कोई भी त्यौहार हो, सब आपस में मिलकर मनाते हैं लेकिन कुछ अलगाववादी ताकतें देश की संस्कृति और भाईचारे को नुकसान पहुँचाने के लिए बिना किसी ठोस प्रमाण के ट्रोलिंग शुरू कर देती हैं जो बहुत गलत है और इससे सतर्क रहने की जरुरत है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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