दिन था 3 मई 1999 का जब भारतीय सेना को चरवाहों के जरिए पाकिस्तानी घुसपैठ की सूचना मिली। सूचना मिलने के बाद रणनीति पर विचार किया गया और 10 मई को पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय की शुरुआत हुई। हमारे सैनिकों ने हजारों फीट ऊंची कारगिल की पहाड़ियों पर चढ़ाई शुरू की। दुश्मन ऊंची चोटियों पर घात लगाए बैठा था और हमारे सैनिक पूरे जोश के साथ आगे बढ़ते जा रहे थे।
भारतीय सेना के लिए चुनौती तो काफी कठिन थी लेकिन 60 दिनों तक चले इस युद्ध के बाद 500 भारतीय जवानों को गवाने और 13 सौ से ज्यादा सैनिकों के घायल होने के बाद आखिरकार भारत पाकिस्तान को खदेड़ने में कामयाब रहा। अपनी इस जीत के युद्ध के दौरान भारत ने कई चोटियों पर कब्जा किया। हम आपको उन्हीं के बारे में बताते हैं।
तोलोलिंग चोटी
इस दौरान द्रास सेक्टर की जिम्मेदारी लेफ्टिनेंट जनरल मोहिंद्र पुरी को सौंपी गई थी। भारतीय सेना द्वारा तोलोलिंग चोटी पर कब्जा करने की कोशिश असफल हो रही थी। इसके बाद दो राजपूताना राइफल्स को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई। 9 जून को जब भारतीय सेना ने बाल्टिक क्षेत्र में कब्जा किया तो इधर के सैनिकों का जज्बा भी बढ़ गया। इसके बाद 13 जून को तोलोलिंग चोटी पर भारतीय तिरंगा लहरा रहा था। इस चोटी पर फतह हासिल करने के दौरान अपने सीने पर 5 गोलियां खाते हुए कोबरा दिगेंद्र सिंह ने अकेले 48 घुसपैठियों को मौत की नींद सुलाया था।
टाइगर हिल
सब से ऊंची चोटी टाइगर हिल पर कब्जा करने के लिए भारतीय सैनिकों ने 11 घंटे की लड़ाई लड़ी थी। इस जीत में सूबेदार महेंद्र सिंह का अहम योगदान रहा क्योंकि उन्होंने 15 गोलियां लगने के बावजूद भी पाकिस्तानियों की तरफ ग्रेनेड फेंका था। जिससे उन्हें लगा कि बैकअप आ चुका है और वो डर गए। टाइगर हिल पर जीत हासिल करने के लिए 18 ग्रेनेडियर टीम को भेजा गया था। इस जीत के लिए लेफ्टिनेंट बलवंत सिंह को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
पॉइंट 5140
20 जून को कैप्टन बत्रा और उनकी टीम ने प्वाइंट 5140 को दुश्मनों के कब्जे से मुक्त करवाया था। इस चोटी पर जीत हासिल करने के बाद उन्होंने दिल मांगे मोर का उद्घोष किया और अगली चोटी 4875 को फतह करने के लिए आगे बढ़े। जहां उन्होंने पांच पाकिस्तानी दुश्मनों को मार गिराया। इस बीच उनके एक जवान को गोली लग गई थी जिसे बचाने के लिए वो आगे पहुंचे तभी उन्हें गोली लग गई। इस शहादत के लिए उन्हें सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
जुबर हिल
टाइगर हिल पर जीत हासिल करने के बाद भारतीय जवानों ने बटालिक क्षेत्र की जुबर हिल पर कब्जा किया था। इस हिल पर कबसे के दौरान मेजर सरवनन शहीद हो गए थे। अपनी प्लाटून का नेतृत्व करते हुए उन्होंने 29 मई को दुश्मनों के दो बंकरों को कब्जे में ले लिया था। चार दुश्मनों को मार गिराने के बाद वो शहीद हुए थे।