पटाखों पर लगी रोक के चलते भाजपा नेता पहुंचे कलेक्टर ऑफिस, कलेक्टर ने खारिज की मांग

Gaurav Sharma
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जबलपुर, संदीप कुमार।एनजीटी के आदेश पर बुधवार की रात को जबलपुर जिला प्रशासन ने शहर में लगी तमाम फटाके दुकानों को हटवा कर उन्हें ग्रामीण क्षेत्र में दुकानें लगाने के निर्देश दिए,अचानक से आए जिला प्रशासन के इस आदेश को लेकर पटाखा व्यापारी सख्ते में आ गए लिहाजा भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से उन्होंने अपनी बात कही जिसको लेकर आज भाजपा विधायक सहित कई नेता कलेक्टर से मिलने पहुंचे पर कलेक्टर ने भी एन.जी.टी के निर्देशों का हवाला देते हुए शहरी क्षेत्र में फटाका दुकान लगाने से मनाही कर दी।

कोरोना को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पटाखों पर लगाई है रोक

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने देश मे बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए पटाखों पर रोक लगा दी है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि कोरोना वायरस की वजह से लोगों के फेफड़े कमजोर हैं और बढ़ता हुआ प्रदूषण नई बीमारियों की वजह बन सकता है इसलिए पटाखों पर रोक लगा दी जाए इस याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने फैसला सुनाया है कि दिल्ली एनसीआर सहित सभी शहरों में 9 नवंबर से 30 नवंबर तक पटाखों पर पूरी तरह से बैन कर दिया है। देश के जिन शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब है, वहां पटाखों पर पूर्णता पांबदी लगाई गई है।

भाजपा ने भी उठा लिए मदद करने से अपने हाथ

बुधवार की रात को अचानक से जिला प्रशासन के दुकान हटाने के आदेश के बाद शहर के तमाम पटाखा व्यापारियों ने भाजपा नेताओं से मदद की आस लगाए जिसके बाद आज भाजपा नगर अध्यक्ष जी.एस ठाकुर, विधायक अशोक रोहाणी, पूर्व महापौर प्रभात साहू का एक दल कलेक्टर कर्मवीर शर्मा से मिलने पहुंचा पर कलेक्टर ने साफ एनजीटी के आदेश का हवाला देते हुए शहरी क्षेत्र में दुकान लगाने को लेकर मनाही दे दी।

व्यापारियों के सामने अब सिर्फ एक रास्ता ग्रामीण क्षेत्र में लगाना होगा दुकान

जबलपुर के पटाखा व्यापारियों को उम्मीद थी कि जब भाजपा का प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर से मुलाकात करेगा तो फटाका दुकानों को कुछ हद तक राहत मिलेगी पर एनजीटी के आदेश का हवाला देते हुए जब कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने शहरी क्षेत्र में दुकानें लगाने को लेकर मनाही कर दी जिसके बाद अब पटाखा व्यापारियों के सामने सिर्फ एक रास्ता है जो कि ग्रामीण क्षेत्र में दुकान लगाने का है, ऐसे में अब पटाखा व्यापारियों को अब ग्रामीण क्षेत्र में ही दुकानें लगाना होगा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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