पुलिस का दिखा संवेदनशील चेहरा, एसपी ने नीचे बैठकर सुनी समस्या

Gaurav Sharma
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छतरपुर, संजय अवस्थी

जिलें में एक बार फिर पुलिस का संवेदनशील वाला चेहरा सामने आया है ,एसपी ऑफिस में गौरिहार थाना के रेवना गांव मे हुई हत्या के मामले में मृतक के परिजन एसपी के पास आरोपी का नाम लिखवाना चाह रहे है। वहीं पुलिस की जांच में वो उक्त व्यक्ति आरोपी नहीं है।

इसी का दबाब पुलिस पर बनाने के लिये एसपी ऑफिस के बाहर पीडित परिवार की महिलाएं ,बच्चे धरने पर बैठे थे ,जैसे ही एसपी को इसकी सूचना लगी तो वो अपने दफ्तर से निकलकर सीधे धरने स्थल पर पहुंचे और अपना मानवीय चेहरा दिखाते हुये जमीन पर बैठकर उनकी समस्याएं सुनी और उसका निराकरण का आश्वासन एसपी द्वारा परिजनों को दिया गया।

गौरतलब है इसी मामले मे 15 दिन पहले एसपी ने गौरिहार थाना प्रभारी प्रभारी को लापरवाही बरतने पर लाईन अटैच कर दिया था ,लेकिन एक बार फिर यह परिवार धरने पर बैठ गया है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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