पिता ने बेटे की पुण्यतिथि को युवा आत्मनिर्भर संकल्प दिवस के रूप में मनाया, 50 युवाओं को दिया जाएगा प्रशिक्षण

Gaurav Sharma
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दमोह, गणेश अग्रवाल। जिले के तेजगढ़ में शिक्षक महेंद्र दीक्षित के बड़े पुत्र की विगत वर्ष वाहन दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर तेरहवीं कार्यक्रम में 50 हेलमेट बांटे गए थे। इसी तारतम्य में प्रथम पुण्यतिथि पर युवाओं को आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से पुलिस भर्ती प्रशिक्षण सेंटर का शुभारंभ करने की बात कही गई, जिसमें 50 युवक और युवतियां प्रशिक्षण ले सकते हैं। इसके साथ ही क्षेत्र के अलग-अलग युवाओं को सैडमैप आईटीआई , जिला उधोग केंद्र ,  स्वरोजगार को लेकर उन्हें आत्मनिर्भर स्वावलंबी बनाने का संकल्प भी लिया गया।

शिक्षक महेंद्र दीक्षित द्वारा बताया गया कि युवाओं को उनके पैर पर खड़े होने के लिए मार्गदर्शन की बड़ी कार्यशाला दिसंबर में आयोजित होगी, जिसमें 20 गांव के लगभग 250 युवक-युवती भाग लेंगे। उन्हें स्वरोजगार करने हेतु कुशल दक्ष विद्वानों द्वारा विभिन्न विषयों का मार्गदर्शन प्राप्त होगा । लकी की प्रथम पुण्यतिथि युवा संकल्प दिवस के रूप में मनाई गई।

 

इस अवसर पर करौंदी परढ़िया से भारतीय सेना में भर्ती हुए राहुल सिंह का सम्मान किया गया।  इसके अलावा अशोक ठाकुर , शिवराज ठाकुर पतलोनी का बेहतर व्यवसाय करने पर सम्मान किया गया। इसके अलावा बिन्नू भाई ट्रस्ट पतलोनी , बुल्स क्लब करौंदी परढ़िया  व सरस्वती क्लब हर्रई को वॉलीबॉल , नेट ,  व किट प्रदान की गई इस अवसर पर युवाओं को आत्मनिर्भर स्वावलंबी बनने की शपथ दिलाई गई ।

पिता ने बेटे की पुण्यतिथि को युवा आत्मनिर्भर संकल्प दिवस के रूप में मनाया, 50 युवाओं को दिया जाएगा प्रशिक्षण


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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