कोलुआ चक्क हत्याकाण्ड का मास्टरमाइंड गिर्राज यादव दिल्ली से गिरफ्तार

Gaurav Sharma
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अशोकनगर, हितेंद्र बुधौलिया।बहादुरपुर थाने के कोलुआ चक्क गांव में हुये एक आदिवासी की हत्या के मामले में पुलिस ने फरार चल रहे हत्याकांड के मुख्य आरोपी गिर्राज यादव को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। ग्वालियर क्राइम ब्रांच एवं अशोकनगर पुलिस की संयुक्त टीम ने मुखबिर की सूचना पर 30,000 के इनामी बदमाश को गिरफ्तार किया है।पुलिस ने आरोपी को न्यायालय में पेश किया जहां से उसे जेल भेज दिया गया।आरोपी का कोविड टेस्ट भी कराया गया है।

उल्लेखनीय है कि हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया गिर्राज यादव प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं दिग्विजय सिंह की नजदीकियो को लेकर चर्चित रहा है।कई दर्जन मामले इसके ऊपर पहले भी दर्ज है। 26 मई को कोलुआ चक्क गांव में जमीन विवाद के मामले में गिर्राज उसके पिता एवं भाई सहित करीब एक दर्जन लोगों पर हत्या सहित कई धाराओं में मामला दर्ज हुआ था।

यह मामला राजैनतिक रसूक से जुड़े व्यक्ति से जुड़े होने के कारण खूब चर्चित हुआ था।मृतक खुमान आदिवासी को न्याय दिलाने के लिय सांसद एवं विधायक भी गांव मे पहुचे थे इस प्रकरण में खूब राजनैतिक बयान बाजी हुई थी।

अशोकनगर पुलिस अधीक्षक रघुवंश भदौरिया ने बताया कि गिरफ्तार किये गये आरोपी पर पुलिस महानिरीक्षक ग्वालियर जोन द्वारा 30 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया गया था।इसके अलाबा आरोपी की चल अचल संपति को कुर्क करने के लिये धारा 82-83 की कार्रवाई की गई है।पुलिस अधीक्षक ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर पुलिस टीम ने गिर्राज यादव को पहाडगंज इलाके में में सड़क पर घूमते हुये गिरफ्तार किया है।इस मामले में अभी भी कुछ अन्य आरोपी फरार है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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