RGPV ONLINE EXAM : पहले ही दिन सर्वर डाउन, हजारों स्टूडेंट हुये परेशान

ग्वालियर, अतुल सक्सेना | UGC यानि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देश पर आज से प्रदेश के इकलौते तकनीकी विश्वविद्यालय RGPV के Online exam शुरू हो गए। पहले ही दिन स्टूडेंट बहुत परेशान हुए। विश्व विद्यालय का सर्वर ठीक से नहीं चला। अधिकांश स्टूडेंट परेशान होते रहे लेकिन खास बात ये रही कि मदद के लिए विश्वविद्यालय ने जो हेल्प लाइन नंबर जारी किये थे उनपर बैठे लोगों ने स्टूडेंट्स की कोई मदद नहीं की उल्टा कह दिया कि सर्वर खुल जाए तो ठीक है वरना जब फिर परीक्षा हो दे देना।

कोरोना संकट के बीच विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के भविष्य का हवाला देते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानि UGC ने देश के सभी विश्वविद्यालयों को अंतिम वर्ष के स्टूडेंट्स की परीक्षाएं Online कराने के निर्देश दे दिये। UGC के निर्देश के बाद विश्वविद्यालयों ने परीक्षाओं की तारीख घोषित कर दी जिसके हिसाब से आज से यानि 24 अगस्त से RGPV की इंजीनियरिंग की बैचलर डिग्री की फाइनल ईयर की परीक्षा शुरू हो गई लेकिन पहले ही दिन स्टूडेंट्स को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। सबसे ज्यादा परेशान RGPV के सर्वर ने किया। तीन बजे पेपर शुरू हो गया और कुछ स्टूडेंट्स की लिंक ओपन हो गई लेकिन जैसे ही सर्वर पर लोड पड़ा लिंक ओपन होना बंद हो गई स्टूडेंट्स परेशान होते रहे। लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था। RGPV ने 24 अगस्त के Online exam के लिए हेल्प लाइन नंबर जारी किये थे। स्टूडेंट्स ने जब इन नंबरों पर हेल्प मांगी तो जवाब मिला कि ट्राई करते रहिये, वरना जब अगली बार exam हो तो दे देना। यानि मदद के लिये बैठाये गए लोगों से स्टूडेंट्स को कोई मदद ही नहीं मिली। स्टूडेंट्स की लिंक ओपन हुई या नहीं लेकिन तीन बजे शुरू हुआ पेपर दो घंटे बाद ठीक पांच बजे ऑटोमैटिक सबमिट हो गया।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।