दमोह एसपी निवास में घुसा सांभर, वन अमले ने किया रेस्क्यू

Gaurav Sharma
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दमोह, गणेश अग्रवाल। दमोह के एसपी निवास पर सुबह सवेरे वहां पर लगे बगीचे में एक सांभर के मिलने के बाद वहां पर हड़कंप के हालात बनते नजर आए। सांभर के मिलने के बाद एसपी ऑफिस के कर्मचारियों के द्वारा इस बात की सूचना वन अमले को दी गई। वहीं वन अमले ने सांभर का रेस्क्यू करते हुए उसे इलाज देकर जंगल में छोड़ने की कवायद शुरू की। जिला मुख्यालय पर बस्ती वाले इलाके में सुबह सवेरे सांभर कैसे आ गया यह जांच का विषय है। लेकिन यह बात महत्वपूर्ण है कि जंगल छोड़कर इतनी दूर यह सांभर कैसे और क्यों पहुंचा। हालांकि एक आध वर्ष पहले जंगल छोड़कर एक चीता भी दमोह में प्रवेश कर गया था, जिसे भी टाइगर रिजर्व की टीम द्वारा रेस्क्यू किया गया था और वही सांभर के मिलने के बाद उसे जंगल में छोड़ा गया है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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