मंत्री का आदेश दरकिनार कर ई-गवर्नेंस अधिकारी पर मेहरबान कलेक्टर

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टीकमगढ़।आमिर खान।

वर्ष 2014 से टीकमगढ़ ई-गवर्नेंस अधिकारी के रूप में पदस्थ मनीष खरे पर भृष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। मनीष खरे पर आरोप है कि 2014 से वर्ष 2018 तक ई-गवर्नेंस विभाग द्वारा खरीदी में बड़े पैमाने पर भृष्टाचार किया गया है। इसकी तमाम शिकायतें करने के बाद भी पीड़ित को न्याय नहीं मिला, तो उसने इस मामले की शिकायत केबिनेट मंत्री पीसी शर्मा के पास की, जिस पर तत्काल प्रभाव से केबिनेट मंत्री ने पहला पत्र दिनांक 26.07.2019 को कलेक्टर टीकमगढ़ एक पत्र लिखा गया, जिसमें जांच कर तत्काल प्रभाव से मनीष खरे को भोपाल अटैच करने के आदेश किये, लेकिन इस आदेश के बाद भी कलेक्टर ने कोई एक्शन नहीं लिया। जब इसकी जांच केबिनेट मंत्री पीसी शर्मा के पास नहीं पहुंची, तो उन्होंने इसके बाद अगली शिकायत पहुंचने के बाद 14.09.2019 को इन्हें तत्काल प्रभाव से भोपाल अटैच करने के आदेश कलेक्टर को दिये। इसके बाद भी कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन भृष्ट ई-गवर्नेंस अधिकारी पर मेहरबान होकर केबिनेट मंत्री के आदेश को दरकिनार करने में लगे हैं। 

भाजपा आईटी सेल जिलाध्यक्ष के भाई है मनीष खरे

शिकायत पत्र के द्वारा यह आरोप भी लगाया गया है कि टीकमगढ़ में मनीष खरे जो भी काम करते हैं, वह भाजपा आईटी सेल अध्यक्ष नवीन खरे जो कि उनके भाई हैं उनके कहने पर करते हैं। इएलिये जब भाजपा का शासन काल था, तब यह भृष्टाचार किया गया, लेकिन सरकार बदलने के बाद भी इन्हें कोई डर नहीं है। मनीष खरे इतने लंबे समय से जमे हैं कि इन्हें अब हटाने वाला कोई नहीं है, जब एक केबिनेट मंत्री की कलम से लिखे पत्र को दरकिनार किया जा रहा है, तो फिर अब इन्हें कौन दोषी ठहराए और कैसे पीड़ित शिकायतकर्ता को न्याय मिले। 

नीलकंठ इंटरप्राइजेज से हुआ सामान खरीदी

केबिनेट मंत्री के पास की गई शिकायत में यह आधार बनाया गया है कि जो ई-गवर्नेस अधिकारी मनीष खरे ने 2014 से लगातार एक ही कंपनी नीलकंठ इंटरप्राइजेज को यह काम दिया, जिस कारण इन पर कोई आंच नहीं आ रही है कि क्योंकि यह कंपनी विक्रम बाल्मीकि के नाम है, जो कि नवीन खरे मनीष खरे के भाई के करीबी हैं। 

भाजपा जिला महामंत्री अभिषेक का संरक्षण

शिकायत पत्र में एक और गंभीर आरोप लगाया गया है कि ये सारा भृष्टाचार का खेल भाजपा जिलाध्यक्ष अभिषेक खरे उर्फ रानू के संरक्षण में चलता रहा है। क्योंकि नवीन खरे रानू खरे के गुट के माने जाते हैं। इसलिए यह भी एक हाथ है, जो मनीष खरे को बचाने में कबच का काम करता है। इसलिये आज दिनांक तक मनीष खरे भृष्टाचार करने के बाद भी अपनी जगह पर जमे हुए हैं। यंहा सवाल यही खड़ा होता है कि जब भाजपा के शासन में यह भृष्टाचार हुआ है, तो कांग्रेस सरकार आने के बाद इन्हें क्यों बचाया जा रहा। क्या सच में टीकमगढ़ कलेक्टर सौरभ सुमन का इस पूरे खेले पर हाथ है, जिससे इन पर कार्यवाही नहीं कर रहे हैं।

इनका कहना

मामला गंभीर है 2014 में भाजपा सरकार में भृष्टाचार करने वाले को बख्शा नहीं जाएगा। यह कमलनाथ की सरकार है, यंहा ऐसे भृष्टाचारियों की कोई जगह नहीं है। इन्हें टीकमगढ़ से हटाने के साथ-साथ जांच उपरांत निकले सबूतों के आधार पर जेल भी भेजा जाएगा। कमलनाथ सरकार में यह सब बर्दास्त नहीं होगा। रही केबिनेट मंत्री के आदेश की बात, तो इस मामले में कलेक्टर से भी बात की जाएगी कि आखिर कार्यवाही करने में क्यों देरी हो रही है।

केके मिश्रा , प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस पार्टी


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