कोयले से भरी ट्रेन के डिब्बे में से निकलने लगा धुआ, पाया गया आग पर काबू

Gaurav Sharma
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दमोह, गणेश अग्रवाल। कटनी बीना रेल खंड पर कोयले से भरी ट्रेन से धुआ निकलने की जानकारी मिलने के बाद दमोह रेलवे स्टेशन पर हड़कंप के हालात निर्मित हो गए। कटनी से बीना की ओर जा रही इस गुड्स गाड़ी में भरे कोयले में धुआ निकलने की सूचना मिलने के बाद फायर ब्रिगेड की टीम के साथ पुलिस का अमला भी स्टेशन पहुंच गया। वही रेलवे के अधिकारी भी सक्रिय हो गए। हालांकि ट्रेन के पहुंचने के बाद रेलगाड़ी के डिब्बों में भरे कोयले में मामूली धुआ निकलता दिखाई देने के बाद राहत की सांस ली गई।

दरअसल, दमोह स्टेशन पहुंचने के पहले गाड़ी में भरे कोयले में से निकल रहे धुआं की सूचना पिछले रेलवे स्टेशन के अधिकारियों द्वारा दमोह रेलवे स्टेशन के अधिकारियों को दी गई। जिसके बाद दमोह में फायर ब्रिगेड के साथ पुलिस एवं रेलवे अधिकारियों का अमला एकत्रित हो गया। वही जब कोयले से भरी रेल गाड़ी दमोह रेलवे स्टेशन पर पहुंची, तो मामूली धुआं निकलता दिखाई दिया।

हालांकि धुआ निकलने की सूचना के बाद प्रशासनिक अमले को जानकारी दी गई और तत्काल ही फायर ब्रिगेड को दमोह रेलवे स्टेशन पर बुला दिया गया। पुलिस के अधिकारियों ने भी मौके पर पहुंच कर मोर्चा संभाल लिया, हालांकी कोयले में से कम धुंआ निकलने के कारण अधिकारियों ने राहत की सांस ली।

 

सीएसपी ने बताया कि बीते रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के डिब्बे से धुआं निकलने की घटना की जानकारी लगने के बाद कंट्रोल रूम को सूचना मिली थी, जिसके बाद यहां पहुंचे। देखने से पता चला है कि किसी शरारती तत्व के द्वारा कोयले के ऊपर जलता हुआ कोई टुकड़ा फेंका गया, जिससे यह आग लगी है और धुआं निकल रहा था, जिसे बुझाया गया है।

कोयले से भरी ट्रेन के डिब्बे में से निकलने लगा धुआ, पाया गया आग पर काबू कोयले से भरी ट्रेन के डिब्बे में से निकलने लगा धुआ, पाया गया आग पर काबू

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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