दमोह से सामने आया मगरमच्छ से खिलवाड़ करने का वीडियो, घड़ियाल को बना दिया बच्चों का खिलौना

Gaurav Sharma
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दमोह, गणेश अग्रवाल। जिले के एक गांव में मगरमच्छ के घुसकर आने के बाद उस से खिलवाड़ किए जाने का एक वीडियो सामने आया है। गांव के लोग मगरमच्छ से इस तरह से खिलवाड़ कर रहे हैं, जैसे कोई खिलौने से खेल रहे हो। इतना ही नहीं बड़े बूढ़े तो ठीक है, बच्चे भी मगरमच्छ की पूंछ पकड़कर खिलवाड़ करने से पीछे नहीं हट रहे।

दरअसल, दमोह जिले की तेंदूखेड़ा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम समनापुर में एक मगरमच्छ तालाब से निकलकर गांव में घुस आया। तालाब में भी यह मगरमच्छ कहां से आया यह ग्रामीणों को पता नहीं, लेकिन जब गांव में यह मगरमच्छ घुस आया तो लोगों ने उसको खदेड़ना शुरू किया। इसी दौरान लोग बिना सुरक्षा के मगरमच्छ के पीछे झुंड बनाकर चलते हुए नजर आ रहे थे।

इतना ही नहीं मगरमच्छ की पूंछ को बड़े तो ठीक बच्चे भी पकड़ कर खिलौना समझकर खेलते दिखाई दे रहे हैं। मगरमच्छ को इस तरह से पकड़ना बड़े हादसे को निमंत्रण दे सकता था, इसके बावजूद लोग मगरमच्छ को खिलौने की तरह खेलते नजर आए।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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