पितरों के साथ देश के अमर शहीदों और महापुरुषों का भी हो रहा यहां निःशुल्क अर्पण, तर्पण और समर्पण

Gaurav Sharma
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देवास, सोमेश उपाध्याय। श्राद्ध पक्ष के आरम्भ होते ही जिले के बागली में जटाशंकर तीर्थ पर ब्रह्मलीन सन्त केशवदास महाराज की प्रेरणा से मुकुंदमुनि प.रामाधार द्विवेदी और बद्रीदास महाराज के मार्गदर्शन में निःशुल्क अर्पण,तर्पण व समर्पण कार्यक्रम प.ओमप्रकाश शर्मा(शास्त्री)के आचार्यत्व में किया जा रहा है।

प.शर्मा ने बताया कि आयोजन का यह आठवां साल है । इसमें पितरों के साथ ही देश की रक्षा के लिए शहीद हुए वीर जवानों व राम निर्माण के लिए जान गवा चुके कारसेवकों व महापुरुषों के निमित भी तर्पण किया जा रहा है। शर्मा के अनुसार सनातन धर्म में प्रत्येक इंसान पर पांच प्रकार के ऋण होते हैं। मातृऋण, पितृ ऋण ,देव ऋण कुल के देवों का, चौथा ऋषि ऋण जिनका हमें गोत्र मिला और पांचवां मनुष्य ऋण जो हमारे संगे-संबंधी या जिनसे हमारा लगाव है।

इन ऋणों से मुक्त होने के लिए पितृ पक्ष का ऋषियों ने बहुत महत्व बताया है। पितृ ऋण से मुक्त होने के लिए अपने माता-पिता और परिवार के साथ मित्र व अन्य मृत प्राणियों के निमित्त पितृ पक्ष में जल तर्पण, पिंडदान और अन्य दान का बहुत महत्व है। श्राद्ध पक्ष पितरों को अधिक प्रिय है। ये इस समय पृथ्वी के निकट आते हैं। इन्हें जल तर्पण करने से ये तृप्त हो जाते हैं और प्रसन्ना होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। कोरोना वायरस से बचाव की सावधानियों को ध्यान में रखते हुए यह आयोजन किया जा रहा है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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