Astro Tips: भारत एक ऐसा देश है, जो अपनी विविधताओं से भारी संस्कृति, परंपरा, रहन-सहन, खानपान के लिए पहचाना जाता है। भारत के ग्रामीण इलाकों में पुराने समय से ही पत्थर में खाना खाने की परंपरा है। लोग न सिर्फ अपने घरों में बल्कि अगर कोई मेहमान आता है या फिर बारात भी आती है तो उन्हें पत्तल में भोजन करवाते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए तो अच्छा होता ही है लेकिन ज्योतिष की दृष्टि से भी इसे काफी शुभ माना गया है।
आपको यह जानकारी हैरानी होगी लेकिन पत्तल में खाने की चली आ रही यह प्राचीन परंपरा ग्रहों से गहरा संबंध रखती है। अगर व्यक्ति पत्तल में खाना खाता है तो उसे ग्रह दोष से छुटकारा मिलता है। चलिए आज हम आपको बताते हैं की पत्तल में खाने का धार्मिक महत्व क्या है और इसका व्यक्ति का जीवन पर कैसा प्रभाव पड़ता है।
पत्तल में खाने का धार्मिक महत्व और लाभ
- पत्तल में खाने के धार्मिक महत्व की बात करें तो पत्तों से बनी हुई पत्तल पवित्रता का प्रतीक होती है।
- अगर व्यक्ति पत्तल में खाना खाता है तो उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वह शुभ परिणाम की प्राप्ति करता है।
- पत्तल में खाने वाला व्यक्ति सरल चीजों पर ध्यान केंद्रित कर पता है जिससे उसे सफलता मिलती है।
- ऋग्वेद में पत्तों को पूर्ण कहा गया है और भोजन ग्रहण करने के लिए सबसे उत्तम माना गया है।
- महाभारत के दौरान जब पांडवों और कौरवों का युद्ध चल रहा था तब दोनों पक्षों के सैनिक पत्तों पर ही भोजन करते थे। इतना ही नहीं रामायण में भी भगवान राम और माता सीता ने वनवास के दौरान पत्तों पर भोजन किया है। देवी देवताओं को भी पत्तों में भोग अर्पित किया जाता है
होते हैं ये लाभ
- पत्तल में खाना खाने के ज्योतिषी लाभ की बात करें तो यह ग्रहों की स्थिति को मजबूत करता है।
- व्यक्ति के जीवन में अगर कोई परेशानी चल रही है तो वह दूर हो जाती है और उसे देवी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
- ऐसा कहा जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती है। उन्हें पत्थर में खाना चाहिए इससे काफी लाभ होता है।
- पत्तल में खाना खाने से व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है। खासतौर पर अगर यह पलाश के पत्ते का है।
- केले के पत्ते में खाना खाने से व्यक्ति पुण्य फलों की प्राप्ति करता है।
डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।