Ratna Shastra: शुभ परिणामों के लिए धारण कर रहे हैं रत्न, पहनने से पहले जान लें ये 5 जरूरी नियम

रत्नों का व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। दरअसल कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति के मुताबिक व्यक्ति का जीवन चलता है। रत्न इन ग्रहों की स्थिति को शुभ बनाने का काम करते हैं।

Diksha Bhanupriy
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Ratna Shastra: ज्योतिष एक नहीं बल्कि कई अलग-अलग विद्याओं में विभाजित है। इन सभी में गणना करने का तरीका भी अलग-अलग दिया गया है। हालांकि ज्योतिषी कोई भी शाखा क्यों ना हो वह व्यक्ति के जीवन के बारे में सभी तरह की जानकारी देने का काम करती है। राशियों से जहां व्यक्ति का दैनिक जीवन और भविष्य पता चलता है तो वहीं जन्मतिथि से भी व्यक्ति के स्वभाव और उसके जीवन में आने वाले क्षणों के बारे में पता किया जा सकता है।

व्यक्ति के जीवन से जुड़ी तमाम तरह की समस्याओं का समाधान भी ज्योतिष में दिया गया है। रत्न शास्त्र एक ऐसी विद्या है, जिसमें उल्लेखित रत्न धारण करने से व्यक्ति को जीवन में चल रही परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। इसमें नौ मुख्य रत्न बताए गए हैं, लेकिन इसके अलावा 84 उपरत्न भी हैं, जो 9 मुख्य रत्नों की तरह ही प्रभाव देते हैं।

जब भी व्यक्ति अपने जीवन में किसी तरह की परेशानी का सामना करता है। तो ज्योतिष की सलाह पर उसे रत्न धारण करने को कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि व्यक्ति के जीवन में जितनी भी स्थिति निर्मित होती है वह ग्रह की वजह से होती है। ग्रहों की अनुकूल स्थिति जहां हमारे जीवन में खुशहाली लेकर आती है तो वहीं प्रतिकूल परिस्थिति सब कुछ बिगाड़ने का काम करती है। अगर आप भी कोई रत्न पहनने जा रहे हैं तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे नियम बता देते हैं जिनका पालन आपको अवश्य करना चाहिए।

इन नियमों का करें पालन

  • रत्न अपने अंदर एक ऊर्जा लिए हुए होते हैं। यह ऊर्जा जब शरीर की ऊर्जा के साथ मैच होती है तो व्यक्ति को लाभ और हानि देती है।
  • रत्न पहनने से पहले उसका वजन और समय इन दो चीजों का ध्यान रखना काफी ज्यादा जरूरी है।
  • इसी के साथ ग्रह की स्थिति को देखना भी आवश्यक है। जब तक ग्रह की स्थिति नहीं देख सकेंगे तब तक रत्न कितने वजन का होना चाहिए यह अनुमान लगा पाना मुश्किल है।
  • कुंडली में विराजित ग्रहों की स्थिति के मुताबिक ही व्यक्ति को बड़ा या छोटा रत्न पहनने को कहा जाता है। बड़ी परेशानी के लिए बड़ा रत्न और छोटी परेशानी के लिए छोटा रत्न पहना जाता है।
  • ध्यान रखें कि इसे धारण करने से पहले गंगाजल और दूध से इसे शुद्ध करना ना भूलें। शुद्ध करने के बाद इसे ईश्वर को समर्पित करें और उसके बाद उपयुक्त उंगली में धारण कर लें।
  • रत्नों को हमेशा शुभ मुहूर्त में बनवाया जाना चाहिए। इसके अलावा यह हमेशा शुक्ल पक्ष में ही पहने जाते हैं। मोती और माणिक्य तो विशेष तौर पर शुक्ल पक्ष में पहने जाने वाले रत्न हैं।

डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।


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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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