Ratna Shastra: ज्योतिष की एक महत्वपूर्ण शाखा रत्न शास्त्र में कई सारे रत्नों का उल्लेख दिया गया है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हर रत्न का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है। जो व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालने का काम करता है।
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह कमजोर होता है तो उसके अनुरूप रत्न धारण करने से ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। आज हम आपको एक ऐसे रत्न की जानकारी देते हैं, जो देवगुरु बृहस्पति का रत्न माना जाता है। इसे धारण करने से व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत बनती है और उसे कई तरह के लाभ होते हैं।
सुनहला रत्न
जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति ग्रह की स्थिति कमजोर है। वह सुनहला रत्न धारण कर सकते हैं। इसे धारण करने से गुरु ग्रह मजबूत होता है। यह पुखराज का उपरत्न है, जिसे धारण करने से व्यक्ति को मान सम्मान की प्राप्ति होती है। पैसों की तंगी से भी यह छुटकारा दिलाता है।
कौन कर सकता है धारण
- सुनहला रत्न कौन धारण कर सकता है अगर यह देखा जाए तो जिनकी कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति खराब है। उनके लिए यह बहुत अच्छा होता है।
- धनु और मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति होते हैं। ऐसे में यह इन लोगों के लिए बहुत लाभकारी रहता है।
- अगर किसी की कुंडली में बृहस्पति अकारक है, तो यह रत्न पहना जा सकता हैं।
- मेष, कर्क, धनु और वृश्चिक राशि के जातक भी से पहन सकते हैं।
ऐसे करें धारण
- गुरुवार के दिन सबसे पहले स्नान आदि कर निवृत हो जाएं और पूजन पाठ करें।
- इसके बाद एक तांबे के पत्र में गंगाजल, गाय का कच्चा दूध, घी, शहद और तुलसी की पत्तियां डालें।
- इसके बाद आपको सुनहला रत्न इसके अंदर डाल देना है और गुरु मंत्र का 108 बार जाप करना है।
- इसे निकाल कर गंगाजल से धोकर साफ कपड़े से पोंछे और अनामिका उंगली में धारण करें।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।