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Sun, Dec 14, 2025

सिर्फ किताबी ज्ञान काफी नहीं! चाणक्य नीति से सीखें व्यावहारिक बुद्धि का महत्व

Written by:Sanjucta Pandit
समाज में उन्हें कोई अहमियत नहीं देता। इस वजह से वह पढ़े-लिखे होकर भी मूर्ख का टैग लिए घूमते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि वह व्यक्ति इस बात से अनजान होता है।
सिर्फ किताबी ज्ञान काफी नहीं! चाणक्य नीति से सीखें व्यावहारिक बुद्धि का महत्व

आजकल के जमाने में हर व्यक्ति पढ़ा लिखा होता है। अपने साथ-साथ वह समाज और देश के विकास में अपना अहम योगदान निभाता है, लेकिन चाणक्य नीति के अनुसार कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो पढ़े लिखे होकर भी मूर्ख कहलाते हैं। धरती पर कई लोग ऐसे भी मौजूद है, जो खुद को समझदार समझते हैं, लेकिन समाज में उन्हें कोई अहमियत नहीं देता। इस वजह से वह पढ़े-लिखे होकर भी मूर्ख का टैग लिए घूमते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि वह व्यक्ति इस बात से अनजान होता है।

चाणक्य नीति में हर एक क्षेत्र के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है। चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या फिर रोजगार की बात हो… चाहे राजनीति का क्षेत्र हो या फिर पारिवारिक जीवन की बात हो। हर एक विषय पर नीति बताई गई है।

बुद्धि का सही उपयोग

आचार्य चाणक्य के अनुसार, केवल ज्ञान प्राप्त करना ही जिंदगी का मुख्य लक्ष्य नहीं होता है, बल्कि अपनी पढ़ाई लिखाई का सही जगह पर सही उपयोग करना भी व्यक्ति के लक्षण होते हैं। कुछ लोग पढ़े लिखे होने के बावजूद भी मूर्ख कहलाते हैं, क्योंकि वह सही जगह पर अपनी बुद्धि का सही उपयोग नहीं कर पाते हैं।

अहंकार

चाणक्य नीति के अनुसार, जिन लोगों को ज्ञान का अहंकार होता है कि वह बहुत पढ़ा लिखा है, तो उसका ज्ञान बेकार हो जाता है। ऐसा व्यक्ति समाज में मान-सम्मान नहीं पाता, बल्कि लोग उसकी बातों को अनसुनी कर देते हैं। ऐसे लोगों से कोई बातचीत करना भी पसंद नहीं करता।

व्यावहारिक ज्ञान

चाणक्य नीति के अनुसार, केवल किताबी ज्ञान होना ही पर्याप्त नहीं होता, बल्कि जीवन में व्यावहारिक ज्ञान का भी महत्वपूर्ण रोल होता है। जिस व्यक्ति को सही समय पर अपनी बुद्धि का प्रयोग करना ना आता हो, वैसा व्यक्ति मूर्ख कहलाता है।

अनुशासनहीन

शिक्षा होने के बाद भी लोग अनुशासनहीन हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति का पढ़ा लिखा होना बेकार है। यह लोग अक्सर समाज में मूर्ख कहलाते हैं, क्योंकि चाणक्य नीति के अनुसार शिक्षा केवल किताबें पढ़ने से नहीं आती, बल्कि उन सिद्धांतों को अपने जीवन में उतरना भी पड़ता है। इसके लिए समय का महत्व और लोगों की अहमियत भी समझ नहीं होती है।

ज्ञान का दुरुपयोग

चाणक्य नीति के अनुसार, पढ़े लिखे होने के बाद ज्ञान का दुरुपयोग करने वाला व्यक्ति शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद भी मूर्ख ही कहलाता है, क्योंकि वह समाज के विकास में अहम योगदान देने के बजाय केवल अपने बारे में सोचता है। ऐसा व्यक्ति कभी भी सफल भी नहीं होता।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)