दशहरा पर्व पर जानिए इससे जुड़ी प्रचलित कहानियां और लोककथाएं, क्यों मशहूर है कुल्लू, मैसूर और बस्तर का दशहरा

दशहरा भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर धर्म और न्याय की स्थापना की थी। इसे विजयदशमी भी कहते हैं, जो शक्ति, साहस और सत्य के प्रतीक देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय से भी जुड़ा हुआ है। दशहरे पर रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं, जो बुराई के अंत का प्रतीक हैं। यह त्योहार हमें जीवन में सत्य, धर्म और आत्मसंयम का पालन करने की प्रेरणा देता है। 

Mythological Stories of Dussehra

Mythological stories of Dussehra : आज देशभर में धूमधाम से दशहरा मनाया जा रहा है। ये एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। दशहरा न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। इसका धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से महत्व है।

दशहरे का महत्व धर्म, न्याय, शक्ति, सामाजिक एकता, और जीवन में सकारात्मक बदलाव के संदर्भ में अत्यधिक व्यापक है। यह त्योहार हमें अच्छाई, सच्चाई, और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है और जीवन में संयम, अनुशासन और सुधार का संदेश देता है। विभिन्न पर्वों को लेकर कुछ कहानियां प्रचलित होती हैं जिनके माध्यम से अच्छाई और बुराई, धर्म और अधर्म, सत्य और असत्य के बीच अंतर बताया जाता है। दशहरे को लेकर भी ऐसी अनेक कथाएं हैं।

दशहरे से जुड़ी प्रचलित कहानियां 

किसी भी पर्व से जुड़ी कहानियों का अर्थ और महत्व उस समाज की सांस्कृतिक, धार्मिक और नैतिक धरोहर को समझने में होता है। इन कहानियों में धार्मिक पक्ष के साथ गहरे नैतिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संदेश भी छिपे होते हैं। पर्वों से जुड़ी कहानियाँ हमें उन मूल्यों और सिद्धांतों की शिक्षा देती हैं, जो एक सभ्य समाज की नींव होते हैं। ये कहानियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होकर हमारी परंपराओं और रिवाजों को जीवित रखती हैं और हमारी सामूहिक चेतना को मजबूती प्रदान करती हैं। आज हम दशहरे से जुड़ी हुी विभिन्न कथाओं के बारे में जानेंगे।

1. रामायण से जुड़ी कहानी : दशहरे की सबसे प्रसिद्ध कहानी रामायण से है। इसके अनुसार, भगवान राम ने रावण का वध करके बुराई पर अच्छाई की विजय प्राप्त की थी। रावण, जो लंका का राजा था, ने राम की पत्नी सीता का अपहरण किया था। भगवान राम ने अपनी सेना और भक्त हनुमान के साथ मिलकर रावण को हराया। इस दिन को राम की विजय और रावण के वध के रूप में मनाया जाता है। दशहरे पर कई स्थानों पर रामलीला का आयोजन होता है और रावण के पुतले का दहन किया जाता है, जो बुराई के विनाश का प्रतीक है।

2. महिषासुर मर्दिनी : दुर्गा पूजा के साथ जुड़ी कहानी दशहरा के एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू को दर्शाती है। देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर (राक्षस) का वध किया था, जो बहुत शक्तिशाली और निर्दयी था। महिषासुर ने देवताओं को पराजित कर दिया था और स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। तब सभी देवताओं ने अपनी शक्तियां एकत्रित कर देवी दुर्गा का निर्माण किया, जिन्होंने नौ दिन तक युद्ध किया और दसवें दिन महिषासुर का वध किया। इस विजय को भी दशहरा के रूप में मनाया जाता है, विशेष रूप से बंगाल और पूर्वोत्तर भारत में।

3. शमी वृक्ष की पूजा : महाभारत के अनुसार, पांडवों ने अपने वनवास के दौरान अपना शस्त्र शमी वृक्ष के नीचे छिपाया था। अज्ञातवास के अंतिम दिन उन्होंने शमी वृक्ष से अपने शस्त्र निकाले और कौरवों के खिलाफ युद्ध के लिए तैयार हुए। इस घटना की स्मृति में दशहरे के दिन शमी वृक्ष की पूजा की जाती है, विशेष रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में। यह वृक्ष मित्रता और युद्ध की सफलता का प्रतीक माना जाता है।

4. द्रविड़ संस्कृति में दशहरा: दक्षिण भारत में दशहरे को महालया के रूप में मनाया जाता है, जो नवरात्रि के समापन के साथ जुड़ा हुआ है। यहां भगवान राम या देवी दुर्गा के बजाय, स्थानीय देवताओं और महाकाव्यों के नायकों की पूजा की जाती है। साथ ही, इसे नए कृषि चक्र की शुरुआत और फसल के आगमन के रूप में भी मनाया जाता है।

दशहरे से जुड़ी लोककथाएं

दशहरा विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कहानियों से जुड़ा हुआ है, जो भारत के विविध समाज और उसकी मान्यताओं को दर्शाता है। इनके साथ दशहरे से जुड़ी कई लोककथाएँ भी भारत के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित हैं। ये लोककथाएँ दशहरे के महत्त्व को विभिन्न सांस्कृतिक दृष्टिकोणों से प्रस्तुत करती हैं। ये लोककथाएँ स्थानीय परंपराओं, नायकों और देवी-देवताओं के साथ जुड़ी हुई हैं। 

1. कुल्लू का दशहरा (हिमाचल प्रदेश): हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में मनाया जाने वाला दशहरा अद्वितीय है। यहाँ की लोककथाओं के अनुसार, कुल्लू के राजा जगत सिंह ने 17वीं शताब्दी में भगवान रघुनाथ (राम) की मूर्ति को कुल्लू लाया और तब से यह पर्व मनाया जाता है। इस अवसर पर कुल्लू घाटी के सभी देवी-देवताओं को रथ यात्रा के माध्यम से राजा के दरबार में लाया जाता है, और यह यात्रा दशहरा उत्सव का प्रमुख हिस्सा होती है। इस लोककथा में कुल्लू के राजा की श्रद्धा और भगवान रघुनाथ की पूजा का प्रमुख स्थान है।

2. मैसूर का दशहरा (कर्नाटक): मैसूर में दशहरे का आयोजन विशेष रूप से प्रसिद्ध है और इसे नदाहब्बा (राज्य का त्योहार) कहा जाता है। लोककथा के अनुसार, मैसूर की देवी चामुंडेश्वरी ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। महिषासुर ने मैसूर पर आक्रमण किया था, और देवी चामुंडेश्वरी ने उसका अंत किया। इस घटना की याद में मैसूर में दशहरा का आयोजन बड़े धूमधाम से होता है, जिसमें रथ यात्रा और सजीव झाँकियों का प्रदर्शन होता है।

3. मालवा की दशहरे की कथा (मध्य प्रदेश): मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में दशहरा से जुड़ी एक लोककथा है। कहा जाता है कि एक बार एक नायक ने अपने गांव पर आक्रमण करने वाले राक्षस को मार गिराया। यह घटना दशहरे के दिन हुई थी, इसलिए इस क्षेत्र में दशहरे को बुराई के प्रतीक राक्षस के वध के रूप में मनाया जाता है। मालवा के गांवों में दशहरे की रात को विशेष लोकनृत्य और गायन का आयोजन होता है, जो इस लोककथा से जुड़ा हुआ है।

4. गुजरात की गरबा और रासलीलागुजरात में दशहरा का संबंध रासलीला और गरबा नृत्य से है। लोककथाओं के अनुसार, यह नृत्य उस विजय का प्रतीक है जब देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। नवरात्रि के नौ दिनों तक गरबा और रासलीला का आयोजन होता है और दशहरे के दिन इसे बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। यह पर्व गुजरात की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा बन चुका है।

5. बस्तर का दशहरा (छत्तीसगढ़): बस्तर का दशहरा भारत के सबसे अनोखे और लंबे चलने वाले दशहरा उत्सवों में से एक है, जो 75 दिनों तक चलता है। बस्तर दशहरा देवी दंतेश्वरी की पूजा से जुड़ा हुआ है, और यह किसी एक लोककथा पर आधारित नहीं है, बल्कि आदिवासी परंपराओं और मान्यताओं का संगम है। कहा जाता है कि बस्तर के राजा ने देवी दंतेश्वरी से प्रेरणा लेकर दशहरे का आयोजन शुरू किया। इस उत्सव में आदिवासी समुदाय की विशेष भूमिका होती है, और इसमें अनोखे रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों का पालन किया जाता है।

6. तमिलनाडु की दशहरे की कहानीतमिलनाडु में दशहरा का संबंध देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरश्वर से भी जुड़ा हुआ है। यहाँ की लोककथा के अनुसार, देवी मीनाक्षी ने दुष्ट दैत्यों का संहार किया और उनके वध की स्मृति में दशहरा मनाया जाता है। साथ ही, इसे नवरात्रि के समापन के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें देवी की पूजा और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

(डिस्क्लेमर : ये लेख सामान्य जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं)

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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