प्रभु श्रीराम से जुड़ा पर्व है दिवाली तो इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा क्यों? क्या हैं इसके पीछे मान्यताएं, पढ़ें पूरी खबर

यानि ये एक दुर्लभ संयोग है कि जिस दिन माता लक्ष्मी जा प्राकट्य हुआ था उसी दिन यानि उसी तिथि की श्री राम भी अयोध्या लौटे थे इसलिए दिवाली वाले दिन हम दीपक जलाकर रौशनी करते है और घरों में साफ़ सफाई कर माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं जिससे उनकी कृपा बन रहे। 

Atul Saxena
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Shri Ram Mata Lakshmi

Diwali is a festival related to Lord Shri Ram: पूरा देश इस समय दिवाली यानि दीपावली की तैयारी में डूबा हुआ है, पांच दिवसीय इस राष्ट्रीय महापर्व की शुरुआत धनतेरस से हो जाती है, व्यापारी इस दौरान ऑफर की भरमार करते हैं जिससे उनका फायदा हो उधर दिवाली के लिए उत्साहित लोग भी प्लानिंग किये बैठे हैं कि हमें कैसी सजावट करनी है , क्या खरीदना है आदि आदि … यहाँ हम दिवाली से जुड़े इस पक्ष के अलावा दूसरे पक्ष की बात आपसे करने वाले हैं…

एक प्रश्न बहुत से लोगों के दिमाग में रहता है खासकर नई पीढ़ी इसका उत्तर जरुर खोजती है कि जब दिवाली प्रभु श्री राम के 14 साल के वनवास से वापस लौटने के कारण मनाई जाती है तो इस दिन श्री राम की पूजा क्यों नहीं की जाती और क्यों लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है? क्यों दिवाली के दिन लोग भगवान श्री राम से आशीर्वाद नहीं मांगते और क्यों माता लक्ष्मी से निवेदन करते हैं कि वे पूरे वर्ष उनपर कृपा बनाये रखें, उनका घर, व्यापार आदि धन संपदा से परिपूर्ण रहे।

युवा पीढ़ी के मन में ये सवाल अधिक उठता है 

अब जिन लोगों की इस सवाल का उत्तर नहीं मालूम वो नई पीढ़ी की ये कहकर टरका देते हैं कि बरसों से यही परंपरा है तो हमें भी इसे अपना रहे हैं, कुछ लोग बच्चों को डांट देते है कि नई पीढ़ी को तो अपने धर्म पर सवाल खड़े करन आता है चुप रहो और कुछ लोग इस बहाने सनातन धर्म के पर्व और त्योहारों का मजाक बनाते हैं खासकर वो लोग जो लोग सनातन धर्म को अपमानित करने में आनंद महसूस करते हैं वो इसे गलत तरीके से प्रचारिय और प्रसारित करते हैं।

वनवास पूरा कर लंका विजय कर लौटे प्रभु राम का दीपमालिका से अयोध्या में हुआ था स्वागत  

यहाँ आपको बताते हैं क्यों दिवाली प्रभु श्री राम से जुड़ी होने के बाद भी इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है, दरअसल प्रभि श्री राम भारत की आत्मा हैं, वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, जब वे अपने पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए 14 साल का वनवास पूरा कर और रावण का वध कर लंका जीतकर लौटे थे तो अयोध्या के लोगों ने अपने घर के बाहर दीप मालिकायें बना कर यानि दीये जलाकर उनका स्वागत किया गया था इसलिए दीपक के कारण ये दीपावली यानि दिवाली कहा गया।

समुद्र मंथन से माँ लक्ष्मी प्रकट हुई थी उस दिन कार्तिक महीने की अमावस्या थी 

अब बात करते हैं इस दिन लक्ष्मी पूजा की, तो यदि आप शास्त्रों को पढ़ेंगे या फिर किसी विद्वान या फिर सनातन के जानकार से बात करेंगे तो बताएगा कि जब समुद्र मंथन हुआ था उसदिन माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था यानि इस दिन माता लक्ष्मी का जन्मदिन है, अब आप कहेंगे समुद्र मंथन की कथा से राम के वनवास लौटने से क्या सम्बन्ध? तो हम बताते हैं क्या सम्बन्ध है।

इस कारण से दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा होती है 

धार्मिक मान्यताएं के अनुसार जिस दिन प्रभु श्री राम 14 साल का वनवास पूरा लंका विजय कर कर वापस अयोध्या लौटे थे उस दिन कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि थी और जिस दिन समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था तो उस दिन भी कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि ही थी। यानि ये एक दुर्लभ संयोग है कि जिस दिन माता लक्ष्मी जा प्राकट्य हुआ था उसी दिन यानि उसी तिथि की श्री राम भी अयोध्या लौटे थे इसलिए दिवाली वाले दिन हम दीपक जलाकर रौशनी करते है और घरों में साफ़ सफाई कर माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं जिससे उनकी कृपा बन रहे।

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी अलग अलग जगह से जुटाई गई है और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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