हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष के समय श्राद्धकर्म और पिंडदान का बहुत ही महत्व माना जाता है। दरअसल इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण का कार्य हैं। इसके साथ ही पितरों की मोक्ष प्राप्ति की कामना की जाती है। हालांकि, वृन्दावन के प्रसिद्द प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) का इस पर एक अलग नजरिया है। जानिए इसे लेकर उन्होंने क्या कहा।
दरअसल प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) के अनुसार ‘पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष नहीं मिलता, बल्कि उन्हें शांति प्राप्त होती है।’ पिंडदान का मोक्ष से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं बताया गया है। यह क्रिया एक धार्मिक अनुष्ठान है।
क्या इससे पितरों को मिलता है मोक्ष?
बता दें कि इसमें श्राद्धकर्ता अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तिल, जल और भोजन का दान करते हैं। प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) के मुताबिक इस प्रक्रिया का उद्देश्य पितरों को मोक्ष दिलाना नहीं है, बल्कि उनकी आत्मा को शांति प्रदान करना है। दरअसल पिंडदान के जरिए पूर्वजों को शांति मिलती है और उनके पुनर्जन्म में सहायता मिलती है, लेकिन इससे मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती।
जानकारी के अनुसार पितृपक्ष का मुख्य उद्देश्य अपने पूर्वजों को स्मरण करना और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करना माना जाता है। वहीं इस अवधि के दौरान किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान पितरों से आशीर्वाद लेने के तरीकों के रूप में कार्य करते हैं। मान्यताओं के अनुसार यह प्रक्रिया हमारे पूर्वजों को हमारी यादों में जीवित रखने का भी एक माध्यम भी है।
कैसे प्राप्त होता है मोक्ष?
वहीं प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) का मानना है कि, पिंडदान से मोक्ष नहीं मिलता बल्कि, मोक्ष की प्राप्ति भगवान की भक्ति और आध्यात्मिक साधना के माध्यम से ही संभव होती है। भगवान की शरण में जाकर, धर्म का पालन करते हुए और आध्यात्मिक जीवन जीकर ही मोक्ष हासिल किया जा सकता है।