सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन लोग सुबह उठकर पितरों को जल अर्पित करते हैं। गरीब लोगों को दान दक्षिणा देते हैं, जिससे उन्हें शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु और महादेव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही वृक्षारोपण करना भी शुभ माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन कोई भी काम करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही सुख और समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होकर घर में प्रवेश करती है।

शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख महीने में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 27 अप्रैल को सुबह 4:49 पर शुरू होगी, जिसका समापन अगले दिन यानी 28 अप्रैल को 1:00 बजे होगा। ऐसे में 27 अप्रैल को वैशाख अमावस्या मनाया जाएगा।
उपाय
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए जल में काले तिल डालकर महादेव की पूजा-अर्चना करें। दीपक जलाकर उनकी आरती करें। ऐसा करने से रुके हुए सारे काम जल्दी संपन्न होते हैं।
- इसके अलावा, कुंडली में स्थित शनि दोष को दूर करने के लिए वैशाख अमावस्या के दिन काले तिल का दान करना चाहिए। काला रंग भगवान शनि को अति अधिक प्रिय है। ऐसे में काले रंग का वस्त्र पहन कर पूजा पाठ करना भी सही माना जाता है। इससे कुंडली में मौजूद अशुभ प्रभाव दूर होते हैं।
पूजन विधि
- सुबह उठकर स्नान कर लें।
- इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें।
- अब लोटा में जल लें।
- इसमें कच्चा दूध या फिर गंगाजल मिला सकते हैं।
- अब सूर्य को अर्घ्य दें।
- फिर दीपक जलाकर भगवान विष्णु की पूजा करें।
- साथ ही महादेव को भी धतूरा चढ़कर रुद्राभिषेक करें।
- आप इस दौरान पितृ मंत्र का जाप कर सकते हैं, जिससे जीवन में सुख और शांति मिलती है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)