Falgun Amavasya: फाल्गुन अमावस्या पर करें ये छोटा सा काम, पितरों का मिलेगा आशिर्वाद, घर के लड़ाई-झगड़े होंगे खत्म

Falgun Amavasya: फाल्गुन अमावस्या पितरों को स्मरण करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन, पितरों को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय किए जाते हैं, जिनमें श्राद्ध, तर्पण, दान और स्तोत्र पाठ शामिल हैं।

Bhawna Choubey
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Falgun Amavasya: हिंदू धर्म में हर अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। अमावस्या तिथि पर पितरों की पूजा की जाती है। इस बार फाल्गुन अमावस्या 10 मार्च 2024 को पड़ रही है। फाल्गुन अमावस्या, जिसे पितृ अमावस्या भी कहा जाता है, पितरों को स्मरण करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान के बाद पितृ तर्पण, पितृ पूजा, पिंडदान और ब्राह्मणों को भोजन करने का भी विशेष महत्व है। पितरों को प्रसन्न करना बहुत जरूरी होता है क्योंकि अगर पितर नाराज हो जाते हैं तो व्यक्ति के जीवन में तमाम प्रकार की परेशानियां आने लगती है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपके पितर हमेशा खुश रहें और आप पर आशीर्वाद बनाए रखें तो आपको फाल्गुन अमावस्या के दिन पितृ स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।

पितृ स्तोत्र

पितृ स्तोत्र एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो पितरों को प्रसन्न करने के लिए पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र पितृऋण से मुक्ति, पितरों की कृपा प्राप्ति और जीवन में सुख-समृद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ॥

इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ॥

मन्वादीनां मुनीन्द्राणां सूर्याचन्द्रमसोस्तथा ।
तान् नमस्याम्यहं सर्वान् पितृनप्सूदधावपि ॥

नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि: ॥

देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येsहं कृताञ्जलि: ॥

प्रजापते: कश्यपाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ॥

नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ॥

सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ॥

अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्नीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ॥

ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्निमूर्तय:।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ॥

तेभ्योsखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतमानस:।
नमो नमो नमस्ते मे प्रसीदन्तु स्वधाभुज: ॥

पितृ स्तोत्र पाठ के क्या-क्या लाभ हैं

पितरों की कृपा प्राप्ति होती है। पितृऋण से मुक्ति मिलती है। जीवन में सुख-समृद्धि आती है। पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मन को शांति मिलती है।

पितृ स्तोत्र पाठ की विधि

  • स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • किसी शांत स्थान पर बैठकर दीप प्रज्वलित करें।
  • फूल, फल और जल चढ़ाकर पितरों का आह्वान करें।
  • श्रद्धा और भक्ति भाव से पितृ स्तोत्र का पाठ करें।
  • पाठ के बाद पितरों को प्रणाम करें।

    पितरों को प्रसन्न करने के अन्य उपाय

  • श्राद्ध: पितृ पक्ष में पितरों के लिए श्राद्ध करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
  • तर्पण: पितरों को तर्पण करने से उन्हें जल मिलता है और वे प्रसन्न होते हैं।
  • दान: पितरों के नाम पर दान करने से उन्हें पुण्य प्राप्त होता है।
  • पितृ गाय का दान: पितृ गाय का दान पितरों को अत्यंत प्रिय होता है।
  • पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना: पीपल का पेड़ पितरों का प्रतीक माना जाता है। पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने से पितरों को जल मिलता है और वे प्रसन्न होते हैं।

    (Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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Bhawna Choubey

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