Mahalaya 2024 : हिंदू धर्म में नवरात्रि का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व के लिए लोग सालों भर इंतजार करते हैं। बता दें कि नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा होती है। बहुत ही जल्द दुर्गा पूजा का आरंभ होने वाला है। जिसका शुभारंभ महालया से होगा। इस दिन देवी दुर्गा पृथ्वी पर अवतरित होती है। दुर्गा पूजा को खास कर पश्चिम बंगाल में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लोग उनके स्वागत के लिए काफी दिन पहले से ही तैयारी करने लगते हैं। बाजारों में लोगों की काफी ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है।
महालय का अर्थ
महालय देवी पक्ष की शुरुआत और पितृपक्ष के अंत का प्रतीक होता है। इस साल महालया 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन गांधी जयंती भी है। महालया नाम का अर्थ “देवी का घर” होता है। इस दौरान लोग सुबह ही स्नान करके माता की आराधना में लीन हो जाते हैं। पूरा शहर भक्तिमय नजर आता है। लोग नए कपड़े पहनते हैं। एक-दूसरे को फोन पर या मिलकर बधाईयां देते हैं।
महत्व
बता दें कि महालया दुर्गा पूजा के 9 दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन लोग घरों में दुर्गा सप्तशती चंडी या चंडी पाठ करते हैं। पूजा पंडालों को तरह-तरह के थीम पर सजाया जाता है। वहीं, जाम की समस्या से निजात पाने के लिए मार्ग को परिवर्तित कर दिया जाता है। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बलों की तैनाती की जाती है, ताकि इस दौरान भक्तों को कोई दिक्कत ना हो। बड़े-बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। महिलाएं पंडालों में लोकगानों पर नृत्य करती है। ढाक बाजा पर माता की आरती उतारी जाती है। सुबह-शाम पंडालों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है। दुर्गा पूजा के आखिरी दिन नम आंखों से माता को विदाई दी जाती है। साथ ही अगले साल वापस आने की कामना भी की जाती है। इस दौरान परिवार की खुशियों की मनोकामनाएं करते हैं।
शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल अश्विनी मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र यानी दुर्गा पूजा शुरू हो जाएगी। जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 12:19 से है और इसका समापन 12 अक्टूबर 2024 को होगा। बता दें कि जिस दिन नवरात्रि की शुरुआत होती है, उसी दिन कलश भी स्थापित किया जाता है। जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 6:19 से लेकर सुबह 7:23 तक है।
पौराणिक कथा
इस पर्व को पूरे देश भर में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। दरअसल, यह त्योहार बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि धरती लोक पर जब महिषासुर नामक राक्षस से ऋषि, मुनि, राजा, आदि परेशान हो चुके थे, तब सभी ने मिलकर मां दुर्गा से विनती की और उन्हें राक्षस से मुक्ति दिलाने की बात कही। तब मां दुर्गा ने शेर पर सवार होकर महिषासुर का वध किया था, तब से ही दुर्गा पूजा बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)