Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2023: नवंबर माह का अंत संकष्ठी चतुर्थी के साथ होने जा रहा है। 30 नवंबर को गणाधिप ससंकष्ठी का व्रत रखा जाएगा। यह मार्गशीर्ष की पहली चतुर्थी तिथि है। संकष्टी चतुर्थी का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। मान्यताएं हैं इस दिन गणपति बप्पा की पूजा आराधना करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है। जिसके कारण सुख-सुविधाओं का लाभ मिलता है।
बन रहें तीन शुभ योग
30 नवंबर दोपहर 2:24 बजे चतुर्थी तिथि का आरंभ होगा। इसका समापन 1 दिसंबर दोपहर 3:30 बजे होगा। चंद्रोदय का समय शाम 7:54 बजे है। गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर तीन शुभ योग बन रहे हैं। इसमें सवार्थ सिद्धि योग, शुक्ल योग और शुभ योग शामिल हैं।
गणाधिप संकष्ठी चतुर्थी पर करें ये 4 उपाय
संकष्टी चतुर्थी के दिन कुछ उपाय को करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
- इस पूजा के दौरान भगवान गणेश को सिंदूर अर्पित करें। अपने माथे पर भी तिलक लगाएं। ऐसा करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
- इस दिन श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा करने से गणपती बप्पा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। नकरात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- गणपति बप्पा को 11 जोड़े दूर्वा की घास चढ़ाएं। घास को बप्पा के चरणों में अर्पित करें।
- शनि की साढ़ेसाती ढैय्या को दूर करने के लिए इस दिन भगवान गणेश को शमी की पत्तियां अर्पित करें। साथ ही सहमी के पेड़ की पूजा करें।
ऐसे करें पूजा
- सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। लाल रंग के वस्त्र धारण शुभ होगा।
- बप्पा का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- पूजा स्थल की साफ-सफाई करें। एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें।
- गणपति बप्पा को गंध, पुष्प, धूप और दीप अर्पित करें।
- लड्डू या मोदक का भोग लगाएं।
- संध्याकाल में चंद्रमा को अर्घ्य दें।
(Disclaimer: इस आलेख का उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी साझा करना है, जो मान्यताओं और अन्य माध्यम पर आधारित है। MP Breaking News इन बातों के सत्यता और सटीकता की पुष्टि नहीं करता।)