Gita Updesh : हम सभी को बचपन से ही श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ पढ़ाया जाता है। दरअसल, यह सनातन धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। इसमें कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक है, जिसे संस्कृत भाषा में लिखा गया था लेकिन अब इसे हिंदी, इंग्लिश सहित अन्य कई भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। बता दें कि इस ग्रंथ में कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है। साथ ही इसमें मनुष्य के मोक्ष की प्राप्ति के रास्ते बताए गए हैं। बता दें कि यह ग्रंथ भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच हुए संवाद का संपूर्ण वर्णन है जोकि महज 45 मिनट का है। महाभारत युद्ध से पहले अर्जुन अपने कर्तव्यों को लेकर संदेह और भ्रम की स्थिति में थे, जिसे देखते हुए भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें जीवन का रहस्य बताया। कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन अपने रिश्तेदारों, गुरु और मित्रों को युद्ध के लिए तैयार देखकर दुखी हो जाते हैं और चिंता में पड़ जाते हैं। उनके सारी चिंता को खत्म करने के लिए गीता का उपदेश दिया गया था। जिसके बाद यह लड़ाई शुरू की गई थी। फिर 18 दिन बाद पांडवों ने कौरवों पर जीत हासिल की। गीता उपदेश को अपनाने वाला हर एक व्यक्ति जीवन में अच्छा इंसान बनता है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको रिश्ता मजबूत बनाने के लिए 2 चीजों के बारे में बताएंगे। आइए जानते हैं विस्तार से…
पढ़ें गीता उपदेश
- भगवान श्री कृष्ण ने गीता उपदेश के दौरान यह कहा है कि इंसान को सब्र और भरोसा दोनों रखना चाहिए। इससे रिश्ता दूर तक चलता है। भले ही यह देर से मिले, लेकिन कभी भी गलत रिश्ते में ना पड़े। अगर आपको सामने वाले पर किसी भी बात को लेकर संदेह है, तो फौरन उस रिश्ते को त्याग दें क्योंकि आगे चलकर रिश्ता टूटने से बढ़िया है कि आप पहले ही सबकी के साथ-साथ अपनी जिंदगी बर्बाद होने से बचा लें।
- गीता उपदेश के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने बताया है कि वादा उतना ही करना चाहिए, जितना कि व्यक्ति निभा सके। क्योंकि झूठी उम्मीद आगे चलकर रिश्ते को कमजोर कर सकती है और इंसान को भी बुरी तरह तोड़ कर रख देती है। इससे बहुत लोगों की जिंदगी बर्बाद हो जाती है। क्योंकि आपके साथ-साथ बहुत सारे लोग भी इस रिश्ते से जुड़े होते हैं।
- भगवान श्री कृष्ण के अनुसार, जिंदगी में सब कुछ दोबारा मिल सकता है लेकिन वक्त के साथ खोया हुआ रिश्ता और भरोसा दोबारा नहीं मिल सकता। सही मार्ग पर चलना और सत्य के प्रति निष्ठावान रहना सबसे महत्वपूर्ण है। एक बार खोया हुआ विश्वास और गलत मार्ग पर चलते हुए खोए हुए रिश्ते को वापस पाना बेहद कठिन होता है।
- गीता उपदेश के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने कहा बात अगर आत्मसम्मान की हो, तो वहां पर प्रेम में भी व्यक्ति को ठुकरा देना चाहिए। क्योंकि आत्मसम्मान से बढ़कर कुछ नहीं होता। अगर आप अपना आत्मसम्मान एक बार खो देंगे, तो उस व्यक्ति की नजर में आपकी कोई वैल्यू नहीं रहेगी और वह आगे आपका सम्मान कभी नहीं करेगा।
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