Gita Updesh: कभी भी बदल सकता है इंसान का समय और स्थिति, भूलकर भी न करें 6 ये गलती
आज के आर्टिकल में हम आपको इंसान के वह गुण बताएंगे, जो उन्हें अपने जीवन काल में गलती से भी नहीं करना चाहिए। अन्यथा आपको इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
Gita Updesh : श्रीमद्भगवद्गीता भारत के प्राचीन ग्रंथो में से एक है। सनातन धर्म में गीता को मोक्ष की प्राप्ति के रूप में देखा जाता है। इसमें 800 अध्याय और 700 श्लोक हैं। जिसमें इंसान को धर्म, कर्म और भक्ति का ज्ञान मिलता है। गीता में बताए गए उपदेशों को अपनाकर मनुष्य अपने जीवन में सफल होता है। इसके साथ ही वह एक अच्छा व्यक्ति बनाकर समाज में उभरता है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको इंसान के वह गुण बताएंगे, जो उन्हें अपने जीवन काल में गलती से भी नहीं करना चाहिए। अन्यथा आपको इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
भगवान श्री कृष्ण के अनुसार, समय और स्थिति कभी भी बदल सकती है। इसलिए अगर इंसान का समय जब अच्छा चल रहा होता है, तब उन्हें अहंकार या अपने स्वभाव में बदलाव बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। कभी भी किसी का अपमान ना करें, ना ही किसी को तुच्छ समझें। गीता उपदेश में यह बताया गया है कि भले ही आप शक्तिशाली हो सकते हैं, लेकिन समय आपसे अधिक बलवान होता है। इसलिए कभी भी किसी को छोटा समझने की भूल न करें।
गीता उपदेश के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने बताया है कि जब आप मंदिर या फिर भगवान की पूजा कर घर वापस लौटते हैं, तो बिल्कुल शांत मन से उनकी साधना में लग रहे। अन्यथा, मन भटकने से आपकी साधना व्यर्थ हो सकती है। इसका आपको फल नहीं मिलेगा।
भगवत गीता के अनुसार, हमेशा अच्छे कर्म करना चाहिए। उन्हें इसी जन्म में अपने कर्मों का फल भोगकर जाना होता है। इसलिए बिना किसी परिणाम की इच्छा किए बगैर अपने कार्य को निरंतर करते रहना चाहिए। इससे वह मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग पर आगे बढ़ता जाता है।
गीता उपदेश के दौरान माधव ने अर्जुन को बताया था कि किसी भी व्यक्ति से ज्यादा लगाव नहीं रखना चाहिए। क्योंकि लगाव से उम्मीद की स्थिति उत्पन्न होती है। जब हम किसी से उम्मीद लगा लेते हैं और किसी परिस्थिति में वह उम्मीद टूटती है, तो इंसान बिखर जाता है। यह उसके दुखों का कारण बन सकता है। कई बार ऐसी स्थिति में लोग दिमागी तौर पर भी बीमार हो जाते हैं, इसलिए किसी से भी लगाव ना रखें।
गीता उपदेश के अनुसार, हर व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव लगा ही रहता है। कभी उनका समय बहुत अच्छा व्यतीत होता है, तो कई बार उनके जीवन में समस्याएं बिना किसी कारण के चली आती है। हालांकि, यह मनुष्य के लिए इशारा होता है कि आपको अपने जीवन में कुछ बदलाव करना है।
भगवत गीता के अनुसार, इंसान के लिए बुरी संगत उस कोयले के समान होती है जो गर्म हो तो हाथ जला देता है और ठंडा हो तो हाथ काले कर देता है। इसका अर्थ यह है कि अगर मनुष्य बुरी संगत में फंस जाता है, तो उसकी जिंदगी नरक बन जाती है और समाज में वह अपनी मान-प्रतिष्ठा खो बैठता है। इसलिए हमेशा बुरे संगत से दूर रहना चाहिए।
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