Kajari Teej 2023 : कजरी तीज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो सितंबर-अक्टूबर के बीच आता है। जिसे कजलिया तीज और सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन स्त्रियाँ अपने पति के लिए व्रत रखती हैं और पूजा-उपासना करती हैं। जिसमें वे अपने पतियों की लंबी आयु और सुख-शांति के लिए कामना करती हैं। तो चलिए आज हम आपको कजरी तीज के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, सामग्री, महत्व और उपाए बताते हैं…
कजरी तीज 2023 मुहूर्त
- भाद्रपद माह कृष्ण तृतीया तिथि शुरू – 01 सितंबर 2023, रात 11.50
- भाद्रपद माह कृष्ण तृतीया तिथि समाप्त – 02 सितंबर 2023, रात 08.49
- सुबह 07:57 – सुबह 09:31
- रात 09:45 – रात 11:12
कजरी तीज की पूजा सामग्री
- कजरी
- गंध, कुमकुम, हल्दी की पिंडियाँ
- चाँदनी, कपूर, अक्षत
- फूल, दीपक, धूप, अगरबत्ती
- पुष्प, फल
- गौ मूत्र, जल
कजरी तीज की पूजा विधि
- सुबह की तरफ उठकर शुद्ध रूप से नहाएं।
- पूजा स्थल को साफ-सफाई करें और उसे सजाएं।
- पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री को सामने रखें।
- पूजा का आरंभ चंद्रोदय के बाद ही करें।
- पूजा में सबसे पहले अपने गुरु और देवी-देवताओं की पूजा करें।
- अपनी ईच्छाओं को मन में धारण करके पूजा करें।
- पैर कजरी को पानी में डालें और उसे निकलने दें। इस पानी को आपके पति को पिलाएं या उसके लिए इस्तेमाल करें।
- धूप, दीपक, अगरबत्ती जलाएं और अपनी भक्ति और आराधना करें।
- गौ मूत्र और जल से चाँद्रमा की पूजा करें।
- चाँदनी, कपूर, अक्षत, गंध, कुमकुम, हल्दी की पिंडियाँ चंद्रमा के सामने रखें और अपनी पूजा को समर्पित करें।
- फूल और फलों से चंद्रमा की पूजा करें।
- अपनी इच्छाओं की प्रार्थना करें और फिर ध्यान में बैठें।
- पूजा के बाद प्रसाद को खाएं।
कजरी तीज के उपाय
- कजरी तीज का व्रत आदर्श रूप से आयोजित करें और पूजा-अराधना के साथ इसे मनाएं। पूजा में दीपक, धूप, अगरबत्ती, पुष्प, फल आदि का उपयोग करें।
- अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ मिलकर व्रत करें।
- व्रत के दौरान अपनी मनोकामनाओं की प्रार्थना करें।
- कजरी तीज के दिन चंद्रमा की पूजा करें।
- व्रत के दिन चंद्रमा की पूजा के लिए गौ मूत्र और जल से अर्घ्य दें।
- किसी गरीब या जरूरतमंद को दान करें।
- व्रत के दिन विशेष प्रकार के सात्विक भोजन का सेवन करें।
- कजरी तीज के दिन चंद्रमा की उपासना करें।
- अपने सद्गुरु की आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा का आयोजित करें।
कजरी तीज के व्रत कथा
कजरी तीज के व्रत की पौराणिक कथा प्रसिद्ध है कि माता पार्वती ने भगवान शिव के परम भक्त पैरवी द्वारा सुनी की उनकी सहधर्मिनी दुल्हन तुष्ट नहीं हैं। पार्वती माता ने उन्हें कजरी तीज का व्रत उपाय बताया और उन्हें सुखमय विवाहित जीवन के लिए प्रार्थना की। पैरवी ने व्रत आदर्श रूप से आयोजित किया और उसके पति के साथ खुशियों से जीवन बिताया। भागवत पुराण के अनुसार, एक कुवरी राजकुमारी ने भगवान विष्णु की आराधना करते हुए कजरी तीज का व्रत रखा। उसकी श्रद्धा और परिश्रम से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उसको उसके मनचाहे वर की प्राप्ति हो गई। पद्म पुराण के अनुसार, एक कुंवारी लड़की ने भगवान शिव की पूजा-अराधना करते हुए कजरी तीज का व्रत रखा। उसकी महत्वपूर्ण पूजा से भगवान शिव प्रसन्न हो गए और उन्होंने उसकी इच्छाओं को पूरा किया। तब से इस व्रत को किया जाने लगा।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)