Mohini Ekadashi 2024 : सनातन धर्म में भगवान विष्णु को धरती का पालनहार माना जाता है, जो सृष्टि के पालन और संरक्षण की जिम्मेदारी निभाते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर महीने में दो एकादशी होती हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित होती हैं। इस प्रकार साल में कुल 24 एकादशियां होती हैं। इन सभी एकादशियों में वैशाख माह में आने वाली एकादशी को “मोहिनी एकादशी” कहा जाता है। इस साल 20 मई को मोहिनी एकादशी सोमवार के दिन पड़ रही है। इस दिन व्रत और पूजा करने का विशेष महत्व है। बता दें कि इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस दिन से जुडे अन्य रहस्य…
जानें पौराणिक कथा
ज्योतिषशास्त्र में राहु और केतु को पापी छाया ग्रह कहा जाता है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, राहु और केतु एक ही राक्षस स्वरभानु के शरीर के दो हिस्से हैं। वहीं, मोहिनी एकादशी का रहस्य समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है, जब देवता और दानव अमृत प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। समुद्र मंथन से अमृत कलश निकलने के बाद यह दानवों के पास चला गया था। देवताओं की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और दानवों को अपने मोह में बांधकर अमृत कलश उनसे वापस ले लिया। वहीं, जब देवता अमृत पान कर रहे थे, तब राक्षस स्वरभानु भेष बदलकर देवताओं की पंक्ति में शामिल हो गया और अमृत का पान कर लिया।
हालांकि, सूर्य और चंद्रमा ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु को इसकी जानकारी दी। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया। चूंकि, स्वरभानु ने अमृत का पान कर लिया था, इसलिए वह अमर हो गया और मर नहीं सका। उसके सिर को राहु और धड़ को केतु के रूप में जाना गया।
इनसे है दुश्मनी
वहीं, राहु और केतु इसी कारणवश सूर्य और चंद्रमा से दुश्मनी रखते हैं। बता दें कि राहु और केतु हमेशा सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगाते रहते हैं। जिनकी कुंडली में राहु और केतु अच्छी स्थिति में होते हैं, उनकी जिंदगी में परेशानियां कम होती हैं और वे अपने जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त करते हैं। वहीं, जिनकी कुंडली में राहु और केतु खराब स्थिति में होते हैं, उन्हें जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। राहु और केतु के अशुभ प्रभावों के कारण व्यक्ति तनाव, अनिद्रा और गलत फैसलों का शिकार हो सकता है। इन ग्रहों के दोष लगने पर व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर महसूस हो सकता है। कुंडली में राहु और केतु के दोष को दूर करने के लिए विभिन्न उपाय और पूजा-पाठ किए जाते हैं।
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