खरमास 2021 : गुरुवार से एक महीने तक वर्जित हो जायेंगे शुभ काम, रखना होगा ध्यान

Atul Saxena
Published on -

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।  हिन्दू मान्यताओं में किसी भी शुभ काम को करने से पहले शुभ मुहूर्त को देखना आवश्यक माना गया है। शास्त्रों में कुछ समय ऐसा भी बताया गया है जिसमें शुभकार्य पूरी तरह से  वर्जित रहते हैं। ऐसा ही समय होता है खरमास या मलमास (Kharmas 2021 malmas 2021)।  इस वर्ष ये महीना गुरुवार 16 दिसंबर से लग रहा है जो 14 जनवरी 2022 तक रहेगा।

इसलिए नहीं होते शुभकार्य

ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति धनु राशि का स्वामी होता है और इसका अपनी ही राशि में प्रवेश करना शुभ नहीं माना जाता। किसी व्यक्ति की कुंडली में ऐसा होता है तब उसका सूर्य कमजोर हो जाता है।  इसलिए ऐसे में शुभकार्य करने को वर्जित कहा गया है।  चूँकि सूर्य की आभा इस अवधि में मलिन यानि कमजोर पड़ जाती है इसलिए खरमास को मलमास भी कहते हैं।

ये भी पढ़ें – गुरु बदलेगा 2022 में इन राशियों की किस्मत, शादी-नौकरी के खुलेंगे अवसर, धन की वर्षा

इस समय लगता है खरमास 

ज्योतिष के अनुसार सूर्य जब धनु राशि और मीन राशि में प्रवेश करते हैं तब इन्हें धनु संक्रांति और मीन संक्रांति कहते हैं और जब सूर्य देव धनु और मीन राशि में रहते हैं तो इस अवधि को खरमास या मलमास कहा जाता है। इस बार खरमास या मलमास की शुरुआत गुरुवार 16 दिसमबर से होगी और इसका समापन 14 जनवरी 2022 यानि पौष महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को होगा।  इस अवधि में शुभ कार्य नहीं किये जा सकेंगे।

ये भी पढ़ें – Bank Strike : दो दिन बैंककर्मियों की रहेगी हड़ताल, निपटा लें बैंकसंबंधी अपने काम

 ये शुभकार्य करने को बताया गया है वर्जित

  • खरमास या मलमास में शादी विवाह वर्जित है, कहते हैं ऐसा करने से विवाहित जोड़ा भावनात्मक और शारीरिक रूप दोनों से कमजोर रहता है।
  • इस महीने में मुंडन संस्कार, कर्णछेदन संस्कार भी वर्जित बताये गए हैं, इससे रिश्ते ख़राब होने की सम्भावना होती है।
  • खरमास या मलमास में नया घर खरीदना वर्जित कहा गया है। इस अवधि में बनाये गए या ख़रीदे गए घर कमजोर होते हैं उसमें निवास प् रसूख शांति का अनुभव नहीं होता।
  •  इस अवधि में कोई भी नया कार्य या नया व्यवसाय नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये आर्थिक परेशानियां बढ़ा सकता है।

About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

Other Latest News