ये है सूर्य के तीन प्रमुख राजयोग, कहीं आपकी कुंडली में भी तो नहीं? मिलता है ये सुख

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Rajyog : राजयोग का ज्योतिष शास्त्र में काफी ज्यादा महत्व माना गया है। अक्सर लोगों की जिंदगी में काफी ज्यादा संघर्ष होते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जन्म के वक्त से ही अपनी किस्मत लिखवा कर लेकर आते हैं। दरअसल जन्म से ही उन व्यक्तियों की कुंडली में कुछ ऐसे योग होते हैं जो उनके जीवन को बिल्कुल भी परेशानियां झेलने नहीं देते हैं। उनका जीवन आराम, शान और शौकत से गुजरता है। ऐसे में कहा जाता है कि वह जातक जन्म से ही अपनी कुंडली में राजयोग के साथ पैदा होते हैं।

ऐसे लोगों के पास कभी भी धन की कमी नहीं होती ना ही उनके जीवन में कोई दुख आता है। वह जहां कदम रखते हैं सफलता उनके कदम छूने लगती है। कई बार ऐसा सूर्य के मजबूत होने पर भी होता है। जिसकी कुंडली में सूर्य मजबूत होता है उसके जीवन में वैभव और समृद्धि मिलती है। वहीं अगर ये कमजोर होता है तो दरिद्रता और खराब स्वास्थ्य का सामना लोगों को करना पड़ता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं सूर्य के कितने प्रकार के मुख्य राजयोग होते हैं। उनका क्या प्रभाव और सावधानियां होती है चलिए जानते हैं –

इतने प्रकार के होते हैं सूर्य के Rajyog

आपको बता दे, सूर्य के मुख्य रूप से तीन प्रकार के राजयोग होते हैं। जो व्यक्ति को राजा बना देते हैं लेकिन ये कमजोर होते हैं तो जीवन में दुःख भी देखने पड़ते हैं। सूर्य को ज्योतिष में व्यक्ति की आत्मा माना जाता है। शरीर में पाचन तंत्र, आंखें और हड्डियां सूर्य से ही सम्बंधित होती हैं। सूर्य का पहला राजयोग वेशि होता है। ये जब फायदा देता है जब सूर्य कमजोर न हो और पाप ग्रहों से युक्त न हो। आपको बता दे, कुंडली में सूर्य के अगले घर में किसी ग्रह के स्थित होने से वेशि योग का निर्माण होता है। लेकिन शर्त ये है कि उस ग्रह में चन्द्रमा, राहु या केतु नहीं होना चाहिए।

  • इस योग वाला व्यक्ति अच्छा वक्ता और धनवान होता है। हालांकि शुरुआती समय थोड़ा कठिन होता है लेकिन बाद में इन्हें खूब धन संपत्ति और यश प्राप्त होता है। ऐसे लोगों को अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए।
  • सूर्य का दूसरा राजयोग वाशी होता है। यह योग व्यक्ति को बुद्धिमान, ज्ञानी और धनवान बनाता है। शान-ओ-शौकत ये अपना जीवन व्यतीत करते हैं। ये अपने जीवन में बहुत सारी विदेशी यात्रा करते हैं। इन व्यक्ति को घर से दूर जाकर खूब सफलता मिलती है। इन लोगों को सूर्य को जल जरूर चढ़ाना चाहिए।
  • तीसरा राजयोग उभयचारी योग माना जाता है। इस योग वाले व्यक्ति फलीभूत होते हैं। ये योग तब बनता है जब सूर्य के पहले और पिछले, दोनों भाव में ग्रह हों। इस योग वाला व्यक्ति बहुत छोटी जगह से बहुत ऊंचाई तक पंहुचता है। इतना ही नहीं व्यक्ति अपने क्षेत्र में बहुत प्रसिद्धि प्राप्त करता है। इनकी हर समस्या से बाहर निकल जाता है। इन लोगों को राजनीति और प्रशासन में बड़े पद मिल जाते हैं।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टी नहीं करता।)


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Ayushi Jain

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