हिंदू पंचांग में हर महीने आने वाली एकादशी का विशेष महत्व होता है। लेकिन कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे रमा एकादशी कहा जाता है, का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से न सिर्फ पापों का क्षय होता है बल्कि घर-परिवार में सुख-समृद्धि भी आती है।
रमा एकादशी 2025 (Rama Ekadashi 2025) का इंतजार भक्त बड़ी श्रद्धा से करते हैं, क्योंकि यह दीपावली से पहले पड़ने वाली खास एकादशी है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन से दरिद्रता दूर होती है और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। आइए जानते हैं इस साल रमा एकादशी की सटीक तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
रमा एकादशी व्रत का महत्व
धन और समृद्धि की प्राप्ति
धार्मिक मान्यता है कि रमा एकादशी पर व्रत और पूजा करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती। इस दिन लक्ष्मी माता प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं और घर की दरिद्रता दूर होती है।
पापों का क्षय और मोक्ष की प्राप्ति
स्कंद पुराण और पद्म पुराण में वर्णित है कि रमा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ प्रदान करता है।
परिवार में शांति और सौहार्द
कहा जाता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है और परिवार में शांति बनी रहती है। दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
रमा एकादशी 2025 तिथि और महत्व
वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि इस वर्ष 17 अक्टूबर को पड़ रही है। यह तिथि 16 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से प्रारंभ होगी और 17 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 12 मिनट तक रहेगी। इसी कारण रमा एकादशी का व्रत 17 अक्टूबर, शुक्रवार को रखा जाएगा। मान्यता है कि इस व्रत को करने से समस्त पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
रमा एकादशी की पूजा विधि
व्रत और नियम
रमा एकादशी के व्रत की शुरुआत दशमी तिथि की रात से हो जाती है। इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है। व्रत वाले दिन प्रातः स्नान कर संकल्प लें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर को गंगाजल से शुद्ध करें। फिर पीला वस्त्र अर्पित करें, तिलक लगाएं और तुलसी की माला चढ़ाएं। धूप-दीप, पुष्प, फल और भोग अर्पित कर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करें।
भजन-कीर्तन और कथा श्रवण
रमा एकादशी की रात जागरण करना शुभ माना जाता है। घर में भजन-कीर्तन करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके अलावा, रमा एकादशी की कथा सुनना भी विशेष फलदायी माना जाता है।





