Shani Jayanti: ये हैं देश के 7 प्रसिद्ध शनि मंदिर, भक्तों की मुरादें होती है पूरी

Shani Jayanti: आज के आर्टिकल में हम आपको देश के उन प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां पूजा करने वाले जातकों की हर मुराद पूरी होती है। आइए जानते हैं विस्तार से...

Sanjucta Pandit
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Shani Jayanti : शनि देव को हिंदू धर्म में न्याय और कर्मफलदाता माना जाता है। वे शनिवार और शनि ग्रह के देवता हैं। उनकी उपासना विशेष रूप से शनिवार को की जाती है। वे व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं। वे न केवल नकारात्मक, बल्कि सकारात्मक कर्मों का भी फल देते हैं। बता दें कि जो लोग ईमानदारी और मेहनत से काम करते है, वे शनि देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। शनिवार के दिन शनि देव की पूजा और आराधना की जाती है और लोग व्रत भी रखते हैं ताकि शनि देव की कृपा प्राप्त हो सके। शनि देव की पूजा करने से जीवन में आने वाली कठिनाइयों और बाधाओं का निवारण होता है। वहीं, 6 जून को शनि जयंती मनाई जाएगी। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको देश के उन प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां पूजा करने वाले जातकों की हर मुराद पूरी होती है। आइए जानते हैं विस्तार से…

शनिश्वर भगवान मंदिर

शनिश्वर भगवान मंदिर तमिलनाडु के तिरुनल्लार में स्थित है। यह भारत के प्रमुख नवग्रह मंदिरों में से एक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह शनि दोष, दुर्भाग्य और विपत्तियों को कम करने के लिए माना जाता है। यहाँ भक्त शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करते हैं ताकि वे शनि देव के आशीर्वाद से अपने जीवन के कष्टों को कम कर सकें। ऐसा माना जाता है कि शनि देव ने तिरुनल्लार मंदिर में भगवान शिव के सामने अपनी शक्तियाँ खो दी थीं।

येरदनूर शनि मंदिर

येरदनूर शनि मंदिर तेलंगाना के मेदक जिले में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां भगवान शनि की 20 फीट ऊंची काले रंग की एक विशाल मूर्ति स्थापित है। यह मूर्ति दो फीट ऊंचे चबूतरे पर स्थित है और केवल मूर्ति का वजन लगभग नौ टन है। इसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर में सबसे अधिक प्रचलित रीति सरसों या तिल के तेल से दीप जलाने की है। ऐसी मान्यता है कि शनि देव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को उनके कष्टों से मुक्ति मिलती है।

शनि महात्मा मंदिर

शनि महात्मा मंदिर चिक्का मड्डूर जिले में स्थित मंदिर का निर्माण एक स्थानीय किसान ने करवाया था। हिंदू श्रावण मास के दौरान मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है। इस समय मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और हवन का आयोजन किया जाता है। मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है और यहां स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर-दराज से भी श्रद्धालु आते हैं।

शनि शिंगणापुर मंदिर

शनि शिंगणापुर मंदिर महाराष्ट्र के नेवासा तालुका में स्थित है, जोकि भारत के प्रमुख शनि मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अपनी अनोखी बनावट और धार्मिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर न तो छत और न ही दीवारों से घिरा हुआ है। शनि देव की मूर्ति एक खुले चबूतरे पर स्थापित है। इसे सोनई के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि एक बार स्थानीय लोगों को नदी में बहता हुआ एक काला पत्थर मिला था, जिससे खून निकल रहा था। ग्राम मुखिया को सपने में दर्शन हुआ और बताया गया कि यह पत्थर शनि देव का प्रतीक है। शनि देव ने मुखिया को आदेश दिया कि इस पत्थर को गांव के बीच में स्थापित किया जाए।

जूनी मंदिर

मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित शनि देव का जूनी प्राचीन मंदिर न केवल भारत बल्कि दुनिया का सबसे प्राचीन शनि मंदिर माना जाता है। इस मंदिर की धार्मिक महत्ता और चमत्कारिक शक्तियों के बारे में कई मान्यताओं के लिए प्रचलित है। बता दें कि यह मंदिर लगभग 300 वर्ष पुराना है। स्थानीय लोगों की ऐसी मान्यता है कि शनि देवता स्वयं इस स्थान पर पधारे थे। इस स्थान पर एक 20 फुट ऊंचा टीला था।

शनिचरा मंदिर

मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित शनिचरा मंदिर देश भर में अपने विशेष महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भारत का सबसे प्राचीन त्रेतायुगीन शनि मंदिर माना जाता है। बता दें कि यहां की प्रतिमा आसमान से टूट कर गिरे एक उल्कापिंड से निर्मित है।

शनि धाम मंदिर

राजधानी दिल्ली में स्थित शनि धाम मंदिर भगवान शनि काफी फेमस है। मूर्ति 21 फीट ऊंची है, जिसे दुनिया की सबसे ऊंची शनि देव की मूर्ति के रूप में जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मंदिर परिसर में श्रद्धा के साथ आने वाले व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिल सकती है।


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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है। पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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