Skanda Sashti 2023: 18 दिसंबर सोमवार को स्कन्द षष्ठी व्रत है। मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष के षष्ठी तिथि को चम्पा षष्ठी, अन्नपूर्ण षष्ठी और गुहा षष्ठी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव, कार्तिकेय और माता पार्वती की पूजा -अर्चना की जाती है। विधि-विधान के साथ व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। जीवन के दुख और कष्ट दूर होते हैं। ज्योतिष शास्त्र अनुसार भी स्कन्द षष्ठी का व्रत विशेष माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से कुंडली में मंगल की स्थिति मजबूत होती है।
बन रहें तीन शुभ योग
17 दिसंबर शाम 8:41 बजे षष्ठी तिथि का आरंभ होगा। 18 दिसंबर शाम 6:22 बजे इसका समापन होगा। इस बार चम्पा षष्ठी पर व्रज, सिद्धि और अमृत योग का निर्माण हो रहा है।
ऐसे करें पूजा
- सबसे सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। स्वच्छ वस्त्र धरण करें और व्रत का संकल्प लें।
- माँ पार्वती, भगवान शिव और कार्तिकेय की तस्वीर और प्रतिमा एक चौकी पर स्थापित करें।
- फल, फूल, अक्षत, हल्दी, डूड, चंदन, इत्र, गाय का दूध, कलावा इत्यादि अर्पित करें।
- पूजा के बाद आरती करें। फलहार करें।
- शाम को भजन-कीर्तन करें।
इस उपायों से होगा लाभ
चम्पा षष्ठी के दिन कुछ उपायों को करना शुभ माना जाता है। ऐसे करने से भगवान कार्त्तिकेय के साथ-साथ महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। घर में खुशहाली आती है। संतान को लाभ होता है।
- पूजा के दौरान भगवान कार्तिकेय को उनका प्रिय मोर पंख चढ़ाएं। शंख भी अर्पित करें। भोग में बूंदी के लड्डू और केसर अर्पित करें। ऐसा करने से संतान उचित मार्ग पर जाता है।
- इस दिन षष्ठी स्त्रोत्र का पाठ जरूर करें। भगवान कार्तिकेय के विभिन्न नामों का जाप भी करें। ऐसा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। संतान को सुख की प्राप्ति होती है।
- भगवान कार्तिकेय के मंदिर में जाकर नीले रंग का वस्त्र अर्पित करें। ऐसा करने के समाज में मान-सम्मान बढ़ता है। सफलता के योग बनते हैं।
(Disclaimer: इस आलेख का उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी साझा करना है, जो मान्यताओं, पंचांग और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। MP Breaking News इन बातों के सत्यता और सटीकता की पुष्टि नहीं करता।)