Gita Updesh : घर में बड़े-बुजुर्गों द्वारा यह सलाह दी जाती है कि उन्हें अच्छा इंसान बनने के लिए गीता के उपदेश पढ़ने चाहिए। दरअसल, सनातन धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है जोकि संस्कृत भाषा में लिखा गया था। इसमें कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक है, लेकिन अब इसे बहुत सी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है, जिसमें हिंदी, इंग्लिश, तमिल, मराठी सहित बहुत सी अन्य भाषाएं शामिल है। इस ग्रंथ में मनुष्य के मोक्ष के प्राप्ति के रास्ते बताए गए हैं। यह भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच हुए संवाद का संपूर्ण वर्णन है। बता दें कि महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले अर्जुन अपने कर्तव्यों को लेकर संदेह में थे। वह अपने रिश्तेदारों, गुरुओं और मित्रों को युद्ध के लिए तैयार देखकर दुखी हो गए थे। उनके मन में चल रहे इस भ्रम की स्थिति को समाप्त करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें जीवन के रहस्य को बताया। साथ ही विश्व रुप प्रकट कर उनकी दुविधाओं को खत्म किया था। इसके बाद कुरुक्षेत्र की रणभूमि में युद्ध शुरू हुई, जिसमें कौरवों को हार और पांडवों को जीत मिली। इसके बाद अखंड भारत का निर्माण हुआ। बता दें कि इस ग्रंथ में कर्म, भक्ति और ज्ञान के बारे में संपूर्ण बातें बताई गई है, जिसे अपनाने वाला हर एक व्यक्ति अच्छा इंसान बनता है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको गीता उपदेश में बताई गई बहुत सी बातों के बारे में बताएंगे। आइए जानते हैं विस्तार से यहां…
पढ़ें गीता उपदेश
- गीता उपदेश के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने कहा था, “समय से भी ज्यादा महंगी भावनाएं होती हैं, इसलिए इसे उन पर खर्च करना चाहिए जो आपकी भावनाओं की कदर करें।” दरअसल, व्यक्ति को अपने कार्यों को बिना किसी स्वार्थ के करना चाहिए। साथ ही उसमें सच्चाई और ईमानदारी होनी चाहिए।
- गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को अपने कर्तव्यों का पालन करने का उपदेश दिया है। बता दें कि व्यक्ति के आत्म-सम्मान, धर्म और कर्तव्य की महत्व पर जोर दिया है। इसलिए जीवन में आत्म-सम्मान, धैर्य और सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए।
- भगवान श्री कृष्ण के अनुसार, “अपनी अच्छाई पर इतना भरोसा रखना चाहिए कि इंसान कभी दुखी ना हो, आपको इस बात पर गर्व करना चाहिए कि जो आपको खोएगा वह एक दिन जरूर होएगा।” बता दें कि सच्चाई के मार्ग पर चलते हुए इंसान को कभी दुखी नहीं होना चाहिए। उसे अपनी अच्छाई पर भरोसा रखना चाहिए। साथ ही यह समझना चाहिए कि यदि कोई उसकी कद्र नहीं करता, तो वह व्यक्ति ही कुछ खो रहा है, न कि आप।
- गीता उपदेश के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने कहा बात अगर आत्मसम्मान की हो, तो वहां पर प्रेम में भी व्यक्ति को ठुकरा देना चाहिए। क्योंकि आत्मसम्मान से बढ़कर कुछ नहीं होता। अगर आप अपना आत्मसम्मान एक बार खो देंगे, तो उस व्यक्ति की नजर में आपकी कोई वैल्यू नहीं रहेगी और वह आगे आपका सम्मान कभी नहीं करेगा।
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